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________________ ३२२ वड्डमाणचरिउ णए-नय १।१३।१ णवमासु-नव (नवीन) मास (आषाढ़ मास) ९।८।६ णक्खत्तराइ-नक्षत्रराज (चन्द्रमा) ११३३४ णवल्ल-नव + ल्ल (स्वार्थे) ललित, नवीन २।३।१७ णक्खत्तु-नक्षत्र ६।६।१२ णवोदएण-नवोदित सूर्य १।१५।१२ णच्चंत-V नृत् + शतृ ४।३।१४ णह-नख ६३।२ पट्टमालि-ट्टमालि ( देव ) २।१३।९ णहग्गु-नभाग्रे (आकाशके अग्रभागमें ) ११४८ णडमाण-नृत् + शानच् (नत्य करती हुई) २०१४।३ णहचारण-नभचारण २।८।४ णडुअ-नटित, छलित, वंचित २।९।४ णहमणि-नख ( रूपी ) मणि १२९५ णतिसिर-नतशिरा (दिक्कुमारी) ९।५।७ णहयर-नभचर २।११।१०, ३।५।१३ णमि-नमिनाथ (तीर्थकर) १११११३ णहर-नखर, नख १०॥३२॥४ णमि-नमि राजा २।१३।१० णहरन्ध्र-नखरन्ध्र ३।२६।४ णमिराएं-नमि राजा ४।३।४ णाग-नाग ८।१६।२ णमिराय-नमि राजा ४१७१८ णाण-ज्ञान ११११४, ८1१०१५ णय-नय ( नीति) ३।५।१० णाणत्तए-ज्ञानत्रय ९८७ णय-नद (नदी) ३।८।१३ णाम-नाम १।२।४, ११४१ णयण-नयन १११।१३, ११३८ णाय-नाग १२८।४ णयणाणंदण-नयनोंको आनन्दित करनेवाला१७।१२ णायपास-नागपाश ४।७।१२ णयणु-नयन ( इन्द्रिय ) १०८५ णायर-नागर ( जन ) २।५।३ णयमग्ग-नीति-मार्ग १।१७।४ णायरा णरा-नागर-नर ( नागरजन ) १६८।११ णयरी-नगरी १।४।१,२।४।१२,१०।९।१ णायवेल्लि-नागवेल, नागवल्ली, ( ताम्बूलणरकंत-णरकान्ता (नदी) १०।१६।३ लता) १।३।१० णरणाह-नरनाथ (ऋषभदेव) १।१३।९, २।५।६, णायसंडु-नागखण्ड ( वन ) ९।२०११ २।५।१६, २।१४।७ णाराय-नाराच ५।१६।८ णरणत्थि-नरास्थि ( मनुष्यकी हड्डियाँ) ३।२६।३ णारायण-नारायण १०१२२२ णरमय-नर-मृग ( मनुष्यरूपी मृग ) १।५।६ णारायण-सासण-नारायण-शासन १०।२२।१ णरयंध-कूव-नरकान्धकूप ११६१० णारायराइ-नाराचराजि ( दाण पंक्ति) ५।५।१२ णरवइ-नरपति ११४१७, २।५।१९, २।७।१ । णारि-महिला २।१०।२ णलिणीवइ-नलिनीपति ( सूर्य ) ७१४५ णारी-नारी ( नदी) १०।१६।३ णवजोव्वण-नवयौवन ११११११ णारीयण-नारीजन १।४।१३ णवणलिणी-नव-नलिनी (नवीन कमलिनी) १।४।६ णारोह-( तत्सम ) न + आरोह १।४।४ णवणवोत्तर-नव-नवोत्तर ( नो अनुदिश स्वर्ग) णावइ-इव ( मानो) ११४।१७ १०१३०११७ णाविऊण-झुकाकर ८।१०।११ णव-णिहाण-नव-निधान ८।४।८ णास-नाश ११११२,१११४।२ णव-णिहि-नव-निधि २।१३।१,८७१३ णिउणो-निपुण २।१४।९ णवणीय नवनीत १०।३८ णिक्कमय-निष्कर्म १०॥३८।६ णवतरु-नव-तरु ( नवीन वृक्ष ) २।११।१० णिक्खवणवेल्ल-निष्क्रमण-वेला ९।१९।१ णव-पलिउ-नवपलित ( शुभ्र केश) ८७.१२ णिक्खवण-निष्क्रमण १।१६।१२, १।१६।१३ णवम भवे-नौवें भवमें २।७।९ णिक्किवासु-निः + कृप + आसु (प्राणियोंके णवमालिय-नवमालिका ( दिक्कुमारी) ९।५।७ प्रति क्रूर ) ३।२७।१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001718
Book TitleVaddhmanchariu
Original Sutra AuthorVibuha Sirihar
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Religion
File Size9 MB
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