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________________ 5 10 15 5 २७६ एयारह गणहर तहो जायई yoहरहँ तिसयई हय हरिसई अवहिणाणि तेरहसय मुणिवर केवलणाणि तच्च संखासय चारि सवाई वाई दह कालई चंद मुजि गयहास इं एक्कु लक्खु सावय परि भणियउं संखा रहिय देव देवंगण हँ सहि जाहिउ विहरिवि पावापुर वर वणे संपत्तउ हिं णु सम्गेविहाणें ठाइविं कत्तिय मासि च उत्थइ जामई उणिव्वाण ठाणे परमेसरु अवसरे पुणु आनंदिय मण आइवि पुज्जेविणु गुरु भत्तिए अग्गि कुमार सिरग्गिहिं जालेवि इय वोदाउव णयेरे मणोहर जायस वंस सरोय दिणेसहो रवर सोमइँ तणु संभूवहो वय विरइङ सिरिहर णामेँ वील्हा गन्भ समुब्भव देह एउ चिरजिय पाव खयंकरु णिas विकमाइचहो काल यारह सहि परिविगयहिं जे पढम पक्ख हूँ पंचमि दि ४१. १. D. वणहरे । २. D. J. V. दो । Jain Education International asमाणचरिउ ४० इंदभूइ धुरि धरि तणु कायई । सिक्ख णवसयाई णव सहसई । तुरिय णाणि पंचसय दियंवर | fatafat रिद्धिहरहँ णवसय । सयलई चउदह सहसई मिलियई । परिगणियई छत्तीस सहासई । लक्खत्तर सावयहँ वि गणियउं । संखा सहिय तिरिय सुंदर मण । तीस वरिस भवियण तमु पहरेवि । सत्त भेय मुणि गण संजुत्तउ । सेसाई विकम्मई विग्घाइवि । कसण चउद्दसि रयणि विरामई । तिल्लोकाहिउ वीरु जिणेसरु | मुणि आसण कंपेणामर गण । थुइ विरविणु नियमइ सत्तिए । जिण सरीरु कुसुमहिं उमालिवि । घत्ता - गउ सुर समूहु णिय-णिय णिलए जंपमागु जिणवर हि । कुरु सोमिचंद जस सिरिहरण इह वलेवि सामिय जिह || २३३ || ४१ [ १०.४०. १ विष्फुरंत णाणाविह सुरवरे । अणु चित्त णित्ति जिणेसहो । साहु मिचंद गुण भूव हो । तियरण रक्खिय असुहर गामेँ । सव्वयणहिं सहुँ पयडिय ह । माणणिचरिउ सुहंकरु । णिच्चुच्छव वर तूर खालई । संच्छर सएवहिं समेयहिं । सूरुवारे गयणंगणि ठिइ इ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001718
Book TitleVaddhmanchariu
Original Sutra AuthorVibuha Sirihar
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Religion
File Size9 MB
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