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वड्डमाणचरिउ
[१०.३८.१०ण गुरु ण लहु ण विरूव ण सोहण ण णर ण णारि ण पंडव दोहण । छुह तण्हा दुक्खेहि ण छिप्पहि
दुस्सह मल पडलेहि न लिप्पहि। लोयण रहियवि सयलु नियच्छहि मण रहियवि जाणंति ण पुच्छहि। लोयालोउ असेसु वि सुंदर
किं वहुणा भणिएण पुरंदर । घत्ता-जं सिद्धहँ सासय सुहु चडइ तं किं कोवि समक्खइ ।
मेल्लिवि अरहनु तिलोयपहु को सयरायरु पेक्खइ ॥२३१॥
एरिस दुविह जीव उवलक्खिये तुज्झु पुरउ सविसेसे अक्खिय । एवहि णिसुणि अजीउ विभासमि सुरवइ चित्तहो भंति विणासमि । धम्मु-अधम्मु गयणु सहुँ कालें रूउज्झिय भासिय गय कालें। धम्मु जाणि गइलक्खण जुत्तउ ठिदिलक्खणु अधम्मु संलत्तउ । गयणु मुणहिं अवगाहण लक्खणु कालु कलिउ परिवट्टण-लक्खणु । तिविहु कालु भासइ जिण सामिउँ मुणि अतीउ वट्टणु आगामि । तासु ठाणु तिरु लोय पमाणउँ धम्माधम्मह तिजयए माणउँ । लोयायास माणु दोहवि मुणि
आयासु वि अणंतु सुण्णउँ सुणि । तं जि जिणेण अलोउ णिवेइउ मुवण कमले सूरेण ण गोविउ । पुग्गलु पंच गुणेहिँ समिल्लउ
रूवाइयहिँ मुणई णाणिल्लउ । तं पुणु खंधु जे देसु पदेसु वि
अविभाई वज्जरइ जिणेसु वि । खंधु असेसु देसु तहो अद्धउ - अद्धद्धउ परसु सुपसिद्धउ । परिमाण अविभाई वुच्चइ
पुणु वि पुरंदरासु जिणु सुच्चइ । तं पुणु छविहु मइँ परियाणिउँ थू लु-थूलु पढमउ वक्खाणिउँ। अवरु थूलु अवरुवि थूलु-सुहमु सुहुमु-थूलु सुहुमु जे सुहुमु-सुहुमु । थू लु-थूल गिरिवर धरणीयलु
थूलु पयंपिउ जिणणाहें जलु । थूलु-सुहुमु छाया संगहणु जि
सुहुमु-थूलु चउरिंदिय विसउ जे। सुहुमु कमु नाम नि खुत्तउ
सुहुमु-सुहुमु परिमाणुउ वुत्तउ । पूरण गलणाइय गुण सहियइँ पुग्गलाई वहु भेयई कहियई। आसउ दुविहु सुहासुह भेएँ
भणिउ जिणिंदें मयण अजेएँ। चउविहु वंधु दुविहु संवरु जिह णिज्जरावि दोविह जाणहिं तिहूँ । णीसेसहँ कम्मह खय-लक्खणु मोक्खु भणई जिणु समय-वियक्खणु । इय सत्तवि तच्चइँ उवविट्ठई पविमल केवल णाणे दिट्ठई। घत्ता-करि धम्म सवणु समसर जिणु पुणु विहरिउ परमेसरु ।
सुर विरइय चउदह अइसयहि पविराइउ परमेसरु ॥२३२।।
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३९. १ D. J. V. उ । २. D. सु। ३. D.8 । ४. D. णं ।
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