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व माणचरिउ
घत्ता—अवराइंमि वणि गयणयले सरे जलहि-तीरि लच्छीहरि । पविल हवंति वितर-नयर संघारहिय मनोहरि ||२२२||
नव-अहिए सय सत्त मुएविणु तहि रलोयहो उवरितमासइ मणिमय अद्ध-कवित्थायारहूँ वियलिय - संख विसाल विमाणहूँ पिंडुत्तरेण ताहँ जुए दित्तिए णरलोयहो वाहिरि संठि थर अमरायल चूलिय उवरिट्ठिउ वालंतर मित्तें उवलक्खिउ तम होंति सोहम्म विमाण हूँ अट्ठावीस लक्ख ईसाइँ कहिय सण कुमार वारहँ जिह पुणु वेलक्ख चारि वियोरिय पुणु चालीस सहस विहिँ वुज्झहि पुणु चउ कप्पहिं सत्त सयक्खिय पढमह गेवज्जह सहुँ वृत्त सत्तुत्तरु सउ साहिउ वीयहे णव जेवणवोत्तर णिदिट्ठा हूँ
गेहीँ तुंगत्तण विहिं कप्पि उपरि विहिँ सय पंच समासिय पुणु वह कप्प चारि मुणिज्जहि विपणासह संजुत्तउ पुणु च सग्गहो गेह हूँ चंगईं
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३०. १. D.°₹' । २. D. उ । ३. D. सं ।
३१. १. D. व ।
घत्ता - पंचासी लक्खहूँ तिसहसईं परिहरियप्र तेवीस हूँ । एक्की कयाइँ सयलइँ हवहिँ तित्तिय जिणहँ णिवास हूँ || २२३||
[ १०.२९.१२
३०
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जोयणाइँ महि हि लंघेविणु । वप्प परिट्ठिय जोइसवासन | परिगय-संख दीव वित्थार । हुति विविह मणिमय रस- दाणहूँ । जोयण दह मीसिय सय खेत्तए । लंविर घंट सरस रुइ भासिर । इंदणील-मणियर - उक्कंठिउ । केवलणाणि जिनिंदहिँ अक्खिर । वसुचउगुणिय लक्ख परिमाण हूँ । atre सर्गे विमल सोक्खालई । हुति अट्ठ महिंद पुणु तिह | विहि पंचास सहास समीरिय । पुणु छहसव्विह भंति विउज्झहिँ । जिणवरेण णाणेण णिरिक्खिय | समह एयारह संजुत्तउ । एयाणवर णिहालिए तइयहो । पंच जि पंचाणुत्तर सिट्ठइँ ।
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छह साईं मुणिणाह वियप्पाहि । अद्धचारि पुणु दोहिं पयासिय । इत्थुति मा वप्प करिज्जहे । तिणि- तिणि पुणु विहि संलत्तहूँ । सडूढइँ विणि सयइँ उत्तुंग हूँ ।
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