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________________ 5 10 5 10 २५४ मज्झत्थु णो मित्तु दुक्खावहारी पलोविज्जए जाएँ वेसो वियारी फुडं तत्थु खेत्तस्सहावेण दुक्खं सु-सहि भूपएसो असेसो खरो दुद्धरो चंडु सीउन्हवाओ महीजाय पत्ता सुणित्तिंसु-तुल्ला पडताणिसं णारयाणं सरीरं महोरंधि भक्त वेउव्वणाए पहाचिच्चि जालावली पज्जलंता तुरं धावमाना फुरंतासिहत्था गिरिंग्गि भवखंति रिक्कंदबिंदा वडूमाणचरिउ २४ Jain Education International सामीण वंधूण कारूणधारी । रुसारत्तणेत्तो अमुक्कोरु-खेरी । किमक्खिज्जए वप्प धत्थंग - रुक्खं । सुक्खावो को सारो पएसो । महादुस्सहो णा भोलि-घाओ । फलोहा कठोरा अलं णो रसुल्ला । वियारंति तत्थुब्भवाणं अधीरं । माहीस - भीमाणणा भीसणाए । पसंति सव्वत्थ दुट्टा मिलंता । अमाणा कुरुवाणा णाइँ भत्था । वियारेवि चंचूहि खुद्दा विणिंदा | घत्ता - वइतरणिहँ पाणिउँ विस-सरिसु पीयमेत्तु मोछावइ । हिययंतरे णिब्भरु परिडहइ बहुविह-वेयण दावइ || २१७|| २५ कुंडइँ किम भरियइँ णारय वरियइँ दूरस हूँ । लोहिय पूवाइँ अइ-सु-विसालइँ असुगस हूँ । हायहो णीसरियहो मह-भय-भैरियहो करिवि रणु । सहुँ तेण पयंडहिं णिय-भुव दंडहिँ तासु तणु । उक्कत्तिविणारय दिति रणायर णिवसण हूँ । लोहमयइँ दिइँ सिहि संतत्तइ भूसणइँ | जहिँ जहिं परिपेच्छइ हियइँ समिच्छइँ वरसुह ईं । तहि तर्हि जम-सासणु पाव पयासणु वहु दुहइँ । जज जोएविणु वइसइ लेबिणु विट्ठर हूँ । डिकूलइँ तिक्ख तिसूलइँ णिट्ठरइँ । • आहार हूँ तणु साहार हूँ परिगस हूँ । दुग्गंध फरुस विरुद्धइँ जिणु भस हूँ । आहारिय पुग्गल णिहिल णिरग्गल परिणव हि । २५. १. J. V. प्रतियोंमें यह पद नहीं है । २. J. V. भयरि । [ १०.२४.१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001718
Book TitleVaddhmanchariu
Original Sutra AuthorVibuha Sirihar
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Religion
File Size9 MB
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