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सय तिण्णि चालीस मीसिय गुहा वप्प इसुकार गिरियारि जल भरिय दह तीस तिहिं गुणिय पंचैव तह कम्मभूमी
चउसय अट्ठावण्ण विमीसिय सयल अकित्तिम मह मुणिणाह हिं जं दी मेल्लिवि पोयंतरे यि सहाउ अविमुक्कइँ पाइँ पदम से सयल संकिण्णए परियाणहि मल्लय - संकास हूँ उत्तमाइँ मज्झिमइँ जहण्ण हूँ तिगुणिय सोलह जिह लवणन्नवे परिमिय जोयणेहिं परिमाणिय तत्थ सहिँ दो दोथी-पुरिस इँ कोमलंग णिम्मलयर भाव ईं किve-धवल - हरिया रुण वण्णइँ एक्को रू-विसारण-वालहि-धर उत्तरदिसि मासंसउ आणहिँ
वडमाणचरिउ
घत्ता - विज्जाहर-रायहँ पुरवरहँ सयमह सत्त साहिय । अट्ठारह सहस जिणेसरहिं णाणा जाणिवि साहिय || २०९ ||
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हरि करि झस - जलयर - सामय मुह सत्ताहिय दह-तरु हल भुंज हिं srator पुणु केवल अक्ख हिँ गुणियहिँ चउवासहि लित्तहिं अट्ठारह जाई सुणिवसहि
१७. १. D. पौं ।
१८. १. J. V. आइयउ ।
[ १०. १६. ८
वट्टुलगिरि वि वीस जिण भणिय गय दप्प । मयेरहर तह विण्णि भोयावणी तीस । छह गुणिय सोलह कुभोयाण भूमीउ ।
घत्ता - पावण्ण कण्ण-ससकण्ण णर लंवकण्ण- उप्पज्जहि । जिह-ति सक्कुलिकण्ण वि कुणर णउ अवरुप्परु लज्जहि ॥२१०||
१७
तिरिय लोय जिणवर आहासिय । ter-free मय णाण-सणाहहिं । कइवय जोयण मयर हरंतरे । ठाण ति परियाणंचि अयाणहूँ । पुणु वरुवरु हुंति वित्थिण्णए । छुह-तण्हा - किलेस - निण्णास हूँ । अवस्सर अणाइँ णिप्पणहूँ । तह तित्तिय हवंति काण्णवे । केवलेण तित्थय जाणिय । विगय-विहूण वत्थ सहरिसहूँ । दूरुज्झि कसाय मय गावहूँ । कुंडल जुवलय मंडिय कण्ण हूँ । पुच्छा विसु हवंति वर-कंधर । विभासण रसु सर जाणहिं ।
१८
कइ-विस-मेस-सरह-दप्पण-मुह | इ-काम- सेव मणु रंजहिँ धरणीहर-दरि-मट्टिय-भक्ख हि । पर थिरइय आवइ परिचत्तहिं । ओइ कम्मु चिरज्जिउ विलसहिँ ।
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