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________________ वड्डमाणचरित चरिउ' की रचनाके पूर्व की होगी। कुछ भी हो, उक्त उल्लेखोंसे यह स्पष्ट है कि 'पासणाहचरिउ' और 'वड्डमाणचरिउ' के विबुध श्रीधर एक ही हैं। __ उक्त श्रीधरोंकी पारस्परिक-भिन्नता अथवा अभिन्नताके निर्णय करनेमें सबसे अधिक उलझन उपस्थित की है-श्रीधरकी 'विबुध' उपाधि ने। सातवें एवं प्रथम श्रीधरको छोड़कर बाकी सभी श्रीधर "विबुध' की उपाधिसे विभूषित हैं। प्रथम श्रीधर 'बुध' एवं 'बिबुध' दोनों ही उपाधियोंसे विभूषित हैं। अतः मात्र यह उपाधि-साम्यता ही उक्त कवियोंकी भिन्नाभिन्नताके निर्णयमें अधिक सहायक सिद्ध नहीं होती। उसके लिए उनका रचना-काल, भाषा एवं शैली आदिको भी आधार मानकर चलना होगा। . उक्त 'भविसयत्तकहाँ' और 'भविसयत्तचरिउ' के रचना-कालमें ३०० वर्षोंका अन्तर है। जैसा कि पूर्वमें कहा जा चुका है कि 'भविसयत्तकहा' का रचना-काल वि. सं. १२३० तथा 'भविसयत्तचरिउ' का रचनाकाल वि. सं. १५३० है। इन दोनोंके प्रणेताओंके नाम तो एक समान हैं ही, दोनोंके आश्रयदाताओंके नाम भी एक समान हैं। वह निम्न मानचित्रसे स्पष्ट है भविसयत्तकहाँ [वि. सं. १२३० ] आश्रयदाता-चन्दवार निवासी माथुरकुलीन नारायण [ पत्नी रुप्पिणी] ___ भविसयत्तचरिउँ [वि. सं. १५३० ] आश्रयदाता-[ माथुरकुलीन ] ..........? [ पत्नी माढ़ी ] .. सुपट्ट वासुदेव साहारणु णारायणु[ पत्नी रुप्पिणी] उक्त ग्रन्थका प्रेरक एवं आश्रयदाता जसएव लोहडु लक्खणु सुप्पडु वासुएउ या सुपट्ट उक्त ग्रन्थका प्रेरक एवं आश्रयदाता उक्त दोनों रचनाओंके शीर्षक एवं प्रशस्ति-खण्डोंके तुलनात्मक अध्ययनसे निम्न तथ्य सम्मुख आते हैं १. कथावस्तु दोनोंको एक है। दोनों ही रचनाएँ अपभ्रंश-भाषामें हैं। मात्र शीर्षकमें ही आंशिक परिवर्तन है—एक 'भविसयत्तकहा' है तो दूसरी 'भविसयत्तचरिउ' । २. दोनों रचनाओंके ग्रन्थ-प्रेरक एवं आश्रयदाता एक ही हैं। अन्तर केवल इतना है कि एकमें केवल दो पीढ़ियोंका संक्षिप्त परिचय तथा दूसरीमें तीन पीढियोंका संक्षिप्त परिचय दिया गया है। जो उक्त मानचित्रसे स्पष्ट है। ३. कविका परिचय दोनों ही कृतियोंमें अनुपलब्ध है। १-२. ये दोनों प्रतियाँ आमेर शास्त्र भण्डार जयपुर में सुरक्षित हैं। ३. देखिए, इस ग्रन्थको परिशिष्ट सं.१ (ग) ४. देखिए, जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह (सम्पा. पं. परमानन्द जी शास्त्री) द्वि.भा., प १४५-१४६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001718
Book TitleVaddhmanchariu
Original Sutra AuthorVibuha Sirihar
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Religion
File Size9 MB
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