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प्रवचन-सारोद्धार
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___"छप्पन्न पंक्तियों में जो खंड हैं उनकी राशि का वर्ग करके, पृथक्-पृथक् संख्या को मिलाने से जो राशि आती है उसमें से ११२३२ खंड अधोलोक के हैं। सभी खंड चौकोर तथा एक रज्जु का १ हिस्सा है। ऊर्ध्वलोक के ४०६४ खंड हैं। दोनों को मिलाने से ११२३२ + १५२९६ कुल खंड हैं। इन्हें ६४ से भाग देने पर २३९ घनरज्जू हुए” ।९१५ ॥
कौनसा देवलोक कहाँ है?—रुचक प्रदेश की समभूतला पृथ्वी के ऊपरवर्ती ६ खंडों (१ ॥रज्जु) में सौधर्म व ईशान दो देवलोक हैं। उसके ऊपरवर्ती ४ खंडों (१ रज्जु) में सनत्कुमार व महेंद्र दो देवलोक हैं। उनके ऊपर १० खंडों में (२ ॥ रज्जु) में ब्रह्मलोक, लान्तक, शुक्र, सहस्रार ये ४ देवलोक हैं। तदनंतर ४ खंडों (१ रज्जु) में आनत-प्राणत-आरण व अच्युत ये ४ देवलोक हैं। सबसे ऊपरवर्ती ४ खंडों में नवग्रैवेयक, विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित सर्वार्थसिद्ध तथा सिद्धिक्षेत्र हैं ॥९१६ ॥
रज्जु का प्रमाण संपूर्ण द्वीप व समुद्र के अन्त में स्थित स्वयंभूरमण समुद्र के एकतट से दूसरे तट की दूरी परिमाण एक रज्जु है। इसी प्रमाण से लोक १४ रज्जु है ।।९१७ ।।
२ भाग
/४ भाग
ellt.
१ रज्जु चौड़ी, १४ रज्जु ऊंची, त्रसनाड़ी
६ भाग
५ भाग
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