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प्रवचन-सारोद्धार
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इस प्रकार सातवीं नरक से पहली नरक तक प्रति पंक्ति तिर्यक् खंडों की संख्या निम्न है• सातवीं नरक में २८ खंड हैं–४ बसनाडी में और १२-१२ बाहर दोनों ओर । • छट्ठी नरक में २६ खंड हैं-४ त्रसनाड़ी में और ११-११ बाहर दोनों ओर । • पाँचवीं नरक में २४ खंड हैं–४ बसनाड़ी में और १०-१० बाहर दोनों ओर । • चौथी नरक में २० खंड हैं–४ बसनाड़ी में और ८-८ बाहर दोनों ओर । • तीसरी नरक में १६ खंड हैं–४ बसनाड़ी में और ६-६ बाहर दोनों ओर । • दूसरी नरक में १० खंड हैं-४ त्रसनाड़ी में और ३-३ बाहर दोनों ओर ।
• पहली नरक में ४ खंड हैं–४ बसनाड़ी में ही हैं। बाहर एक भी नहीं है ॥९१० ।। सम्पूर्ण लोक के खंडों की संख्या
अधोलोक के कुल ५१२ खंड हैं। यथा, प्रत्येक नरक में खंडों की जो संख्या बताई हैं उस संख्या की ४-४ पंक्तियाँ हैं अत: प्रत्येक पंक्ति की संख्या को ४ से गुणा करने पर पूर्वोक्त संख्या आती है।
• २८ x ४ = ११२ खंड। • २६ x ४ = १०४ खंड। • २४ x ४ = ९६ खंड।
२० x ४ = ८० खंड। • १६ x ४ = ६४ खंड। . १० x ४ = ४० खंड। . ४ x ४ = १६ खंड। कुल ११२ + १०४ +९६ + ८० + ६४ + ४० + १६ = ५१२ खंड। • ऊर्ध्वलोक के कुल खंडों की संख्या ३०४ है।
८ + १२ + ८ + १० + २४ + ३२ + ८० + ३२ + २४ + ३० + २४ + १२ + ८ = ३०४
अधोलोक के = ५१२ खंड। ऊर्ध्वलोक के = ३०४ खंड । कुल खंड ८१६ हुए ॥९११ ।। राजु तीन प्रकार के हैं—सूचीरज्जु, प्रतररज्जु व घनरज्जु ।
सूचीरज्जू-चार खंड लंबी व एक खंड मोटी सूई की तरह व्यवस्थित खंड श्रेणी सूचीरज्जु है । जैसे, ०००० सूचीरज्जु है।
___ प्रतररज्जु-सूचीरज्जु को सूचीरज्जु से गुणा करने पर जो आता है। वह प्रतररज्जु है अर्थात् ४ x ४ = १६ खंडों का प्रतररज्जु है।
इसकी स्थापना इस प्रकार है
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