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प्रवचन-सारोद्धार
ऊध्वलोकान्त
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००० अनुत्तर-५
७ राजप्रमाण ऊर्ध्वलोक
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१२
तिर्यग्
रत्नप्रभा पृथ्वी
लोक
शर्कराप्रभा
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वालुकाप्रभा पृथ्वी
पंक
पृथ्वी
७ राजप्रमाण अधोलोक
धूम प्रभा
पृथ्वी
तमः
पृथ्वी
तमस्तमा पृथ्वी
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