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________________ प्रवचन-सारोद्धार ४३९ दुंबिलय लउस बोक्कस भिल्लंध पुलिंद कुंच भमररुआ। कोवाय चीण चंचुय मालव दमिला कुलग्घा या ॥१५८४ ॥ केक्कय किराय हयमुह खरमुह गयतुरयमिंढयमुहा य। हयकन्ना गयकन्ना अन्नेऽवि अणारिया बहवे ॥१५८५ ॥ पावा य चंडकम्मा अणारिया निग्घिणा निरणुतावी । धम्मोत्ति अक्खराई सुमिणेऽवि न नज्जए जाणं ।११५८६ ॥ ___ -गाथार्थअनार्यदेश–शक, यवन, शबर, बर्बर, काय, मुरुण्ड उडु गौड़ पक्कणग, अरबाग, हूण, रोम, पारस, खस, खासिक, दुम्बिलक, लकुश, बोक्कस, भिल्ल, अन्ध्र, पुलिन्द्र कुंच, भ्रमररुक, कोपाक, चीन, चंचुक, मालव, द्रविड़ कुलार्य केकय, किरात, हयमुख, खरमुख, गजमुख, तुरंगमुख, • मिंढकमुख, हयकर्ण और गजकर्ण। अन्य भी बहुत से अनार्य देश हैं ।।१५८३-८५ ।। पापी, अति रौद्र कर्म करने वाले, निर्दय, पश्चात्ताप हीन, 'धर्म' शब्द को स्वप्न में भी नहीं जानने वाले लोग 'अनार्य' हैं ॥१५८६ ।। -विवेचन अनार्यदेश = अशिष्ट, असभ्य व्यवहार वाले देश अनार्य देश हैं। वे निम्न हैं। १. शकदेश १४. खसदेश २७. मालवदेश २. यवनदेश १५. खासिकदेश २८. द्रविड़देश ३. शबरदेश १६. टुंबिलकदेश २९. कुलार्घदेश ४. बर्बरदेश १७. लकुशदेश ३०. केकयदेश ५. कायदेश १८. बोक्कशदेश ३१. किरातदेश ६. मुरुण्डदेश १९. भिल्लदेश ३२. हयमुखदेश ७. उड्डदेश २०, अंध्रदेश ३३. खरमुखदेश ८. गौडदेश २१. पुलींद्रदेश ३४. गजमुखदेश ९. पक्वणगदेश २२. कुंचदेश ३५. तुरंगमुखदेश १०. अरबदेश २३. भ्रमररुकदेश ३६. मिंढकमुखदेश ११. हूणदेश २४. कोपाकदेश ३७. हयकर्णदेश १२. रोमदेश २५. चीनदेश ३८. गजकर्णदेश १३. पारसदेश २६. चञ्चुकदेश जो हेय धर्मों से रहित तथा उपादेय धर्मों से सहित हैं, वे आर्य देश हैं। इससे विपरीत देश अनार्य हैं। अर्थात् जो देश अशिष्ट व्यवहार वाले हैं वे अनार्य हैं। • अनार्य देशों का वातावरण पाप बँधाने वाला होने से ये देश पाप देश हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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