________________
प्रवचन-सारोद्धार
४१९
::152300ACE
तह पडिवयाए एक्को कवलो बीयाइ पुन्निमा जाव । एक्केक्ककवलवुड्डी जा तेसि होइ पन्नरसगं ॥१५५६ ॥ एक्केक्कं किण्हंमि य पक्खंमि कलं जहा ससी मुयइ । कवलोवि तहा मुच्चइ जाऽमावासाइ सो एक्को ॥१५५७ ॥ एसा चंदप्पडिमा जवमज्झा मासमित्तपरिमाणा। इण्हि तु वज्जमझं मासप्पडिमं पवक्खामि ॥१५५८ ॥ पन्नरस पडिवयाए एक्कगहाणीए जावऽमावस्सा। एक्केणं कवलेणं जाया तह पडिवईऽवि सिआ॥१५५९ ॥ बीयाइयासु इक्कगवुड्डी जा पुन्निमाए पन्नरस । जवमज्झवज्जमज्झाओ दोवि पडिमाओ भणियाओ ॥१५६० ॥ दिवसे दिवसे एगा दत्ती पढमंमि सत्तगे गिज्झा। वड्डइ दत्ती सह सत्तगेण जा सत्त सत्तमए ॥१५६१ ॥ इगुवन्नवासरेहिं होइ इमा सत्तसत्तमी पडिमा। अट्ठठ्ठमिया नवनवमिया य दसदसमिया चेव ॥१५६२ ॥ नवरं वड्डइ दत्ती सह अट्ठगनवगदसगवुड्डीहिं । चउसठ्ठी एक्कासी सयं च दिवसाणिमासु कमा ॥१५६३ ॥ एगाइयाणि आयंबिलाणि एक्केक्कवुड्डिमंताणि । पज्जंतअभत्तट्ठाणि जाव पुन्नं सयं तेसिं ॥१५६४ ॥ एयं आयंबिलवद्धमाणनामं महातवच्चरणं । वरिसाणि एत्थ चउदस मासतिगं वीस दिवसाणि ॥१५६५ ॥ गुणरयणवच्छरंमी सोलस मासा हवंति तवचरणे। एगंतरोववासा पढमे मासंमि कायव्वा ॥१५६६ ॥ ठायव्वं उक्कुडुआसणेण दिवसे निसाए पुण निच्चं । वीरासणिएण तहा होयव्वमवाउडेणं च ॥१५६७ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org