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द्वार २७१
सव्वंगसुंदरतवे कुणंति जिणपूयखंतिनियमपरा। अढ़ववासे एगंतरंबिले धवलपक्खंमि ॥१५४४ ॥ एवं निरुजसिहोवि हु नवरं सो होइ सामले पक्खे। तंमि य अहिओ कीरइ गिलाणपडिजागरणनियमो ॥१५४५ ॥ सो परमभूसणो होइ जंमि आयंबिलाणि बत्तीसं । अंतरपारणयाइं भूसणदाणं च देवस्स ॥१५४६ ॥ आयइजणगोऽवेवं नवरं सव्वासु धम्मकिरियासुं। अणिगूहियबलविरियप्पवित्तिजुत्तेहिं सो कज्जो ॥१५४७ ॥ एगंतरोववासा सव्वरसं पारणं च चेत्तंमि। सोहग्गकप्परुक्खो होइ तहा दिज्जए दाणं ॥१५४८ ॥ तवचरणसमत्तीए कप्पतरू जिणपुरो ससत्तीए। कायव्वो नाणाविहफलविलसिरसाहियासहिओ ॥१५४९ ॥ तित्थयरजणणिपूयापुव्वं एक्कासणाई सत्तेव । तित्थयरजणणिनामगतवंमि कीरंति भद्दवए ॥१५५० ॥ एक्कासणाइएहिं भद्दवयचउक्कगंमि सोलसहिं । होइ समोसरणतवो तप्पूयापुव्वविहिएहिं ॥१५५१ ॥ नंदीसरपडपूया निययसामत्थसरिसतवचरणा। होइ अमावस्सतवो अमावसावासरुद्दिवो ॥१५५२ ॥ सिरिपुंडरीयनामगतवंमि एगासणाइ कायव्वं । चेत्तस्स पुन्निमाए पूएयव्वा य तप्पडिमा ॥१५५३ ॥ देवग्गठवियकलसो जा पुन्नो अक्खयाण मुट्ठीए। जो तत्थ सत्तिसरिसो तवो तमक्खयनिहिं बिंति ॥१५५४ ॥ वड्डइ जहा कलाए एक्केक्काएऽणुवासरं चंदो। संपुन्नो संपज्जइ जा सयलकलाहिं पव्वंमि ॥१५५५ ॥
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