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________________ प्रवचन - सारोद्धार देवकुलिका में उपयोगी भांगों की संख्या लाने हेतु गुण्य व गुणक राशि उपलब्ध करना आवश्यक है । अतः यहाँ सर्वप्रथम गुणकराशि उपलब्ध करने की प्रक्रिया बताते हैं । श्रावक के १२ व्रत हैं । १२ व्रत में से कोई आत्मा एक साथ १२ व्रत लेते हैं, उसका १ भांगा होता है । कोई ११ व्रत लेते हैं, उसके १२ भांगे होते हैं क्योंकि कोई अहिंसा सिवाय के ११ व्रत लेते हैं तो कोई सत्य को छोड़कर लेते हैं। इस प्रकार कोई १० व्रत लेते हैं उसके ६६ भांगे होते हैं । यावत् एक साथ मात्र १ व्रत लेने वालों के १२ भांगे होते हैं । भांगों की रीति जितनी संख्या के भांगे बनाने हों, सर्वप्रथम उतनी संख्या नीचे से ऊपर तक क्रमशः लिखना । जैसे यहाँ १२ व्रत के भांगे बनाना है तो प्रथम नीचे से ऊपर तक क्रमशः १ से १२ संख्या लिखना । यह प्रथमपंक्ति है शेष ११ पंक्तियों में सबसे नीचे १-१ अंक स्थापन करना । तत्पश्चात् द्वितीय पंक्ति के शेष अंक उपलब्ध करने की प्रक्रिया यह है कि द्वितीय पंक्ति का १ + प्रथमपंक्ति का २ = ३ + प्रथमपंक्ति का ३ = ६ + प्रथमपंक्ति का ४ = १० + प्रथमपंक्ति का ५ = १५ + प्रथमपंक्ति का ६ = २१ + प्रथमपंक्ति का ७ = २८ + प्रथमपंक्ति का ८ = ३६ + प्रथमपंक्ति का ९ = ४५ + प्रथमपंक्ति का १० = ५५ + प्रथमपंक्ति का ११ = ६६ यह द्वितीय पंक्ति का अंतिम अंक है । इसमें प्रथम पंक्ति की १२ संख्या नहीं जुड़ती, कारण मूल में कहा है कि- 'एक्केक्कहाणि' अर्थात् पूर्वपंक्ति की अपेक्षा उत्तरपंक्ति में एक-एक अंक न्यून होता जाता है यावत् १२वीं पंक्ति में मात्र '१' अंक ही रहता है। इसी प्रकार उत्तर पंक्ति के अंकों के साथ पूर्व पंक्ति के अंकों का जोड़ करने पर उत्तर पंक्ति के अगले अंक उपलब्ध होते हैं। सभी पंक्तियों के ऊपर के अंक एक संयोगी, द्विसंयोगी आदि आदि भांगों की संख्या है । १२ व्रतों के सांयोगिक भांगों की रीति १२ ११ १० ९ ८ ७ ६ ५ x m ४ ३ २ १ ६६ ५५ ४५ ३६ २८ २१ १५ ३५ ७० १२६ १० ६ m o ३ १ २२० १६५ ४९५ १२० ३३० ७९२ ८४ २१० ४६२ ९२४ ५६ १२६ २५२ ४६२ २१० Jain Education International 2 x v २० १० ४ १ ३५ ५६ १५ ५ M १ २१ ६ १ ~ 6 N 2 ८४ २८ ७ ७९२ ३३० १२० ३६ ८ १ w ४९५ १६५ २२० ४५ ५५ ९ १० १ १ For Private & Personal Use Only ३३५ ६६ ११ १२ १ & १ १ www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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