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________________ प्रवचन - सारोद्धार है। कहा है कि - "गर्भज तिर्यंच, मनुष्य, देव व नारकों का विरह काल १२ मुहूर्त का है ।" विशेष रूप से देवों का उत्पात-विरह काल विशेषतः / नाम भवनपति व्यन्तर ज्योतिषी धर्म ईशान सनत्कुमार माहेन्द्र ब्रह्म लान्तक महाशुक्र सहस्रार आनत प्राणत आरण अच्युत उत्कृष्ट २४ मुहूर्त २४ मुहूर्त Jain Education International २४ मुहूर्त २४ मुहूर्त २४ मुहूर्त ९ दिन / २० मुहूर्त १२ दिन / १० मुहूर्त २२ दिन ४५ दिन ८० दिन १०० दिन संख्याता मास संख्याता मास किन्तु आनत देवलोक से अधिक संख्याता वर्ष संख्याता वर्ष किन्तु आरण देवलोक से अधिक संख्याता सौ वर्ष संख्याता हजार वर्ष संख्याता लाख वर्ष अद्धा पल्योपम का जघन्य एक समय एक समय एक समय एक समय एक समय एक समय एक समय एक समय For Private & Personal Use Only एक समय एक समय एक समय एक समय एक समय ग्रैवेयक प्रथम त्रिक ग्रैवेयक द्वितीय त्रिक ग्रैवेयक तृतीय त्रिक चार अनुत्तर सर्वार्थसिद्ध असंख्यातवां भाग अद्धा पल्योपम का संख्यातवां भाग • यहाँ संख्याता सौ वर्ष का अर्थ है हजार के अन्दर, संख्याता हजार का अर्थ है लाख के अंदर और संख्याता लाख का अर्थ है करोड़ के अंदर, अन्यथा करोड़ वर्ष ही कह देते । यह व्याख्या हरिभद्रसूरिकृत संग्रहणी की टीका के अनुसार है। अन्य आचार्य तो सामान्य व्याख्या ही करते हैं ।। ११६७-७१ ।। एक समय एक समय एक समय एक समय एक समय एक समय २१३ एक समय www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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