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________________ प्रवचन-सारोद्धार २०१ आ (vii) कूष्माण्ड श्वेत महाश्वेत आ वर्ष (viii) पतंग पतंग । पतंगपति य की है। उत्तरदिशा में उ० स्थिति दक्षिणदिशा में उ० स्थिति ज०स्थिति व्यन्तरी अर्ध व्यन्तरी सभी की सभी की वाणव्यन्तरी पल्यो- वाणव्यन्तरी पल्योपम दस हजार देवी की स्थिति पम देवी की स्थिति की है। वर्ष की है। 'श्रीह्रीधृतिकीर्तिबुद्धिलक्ष्य: पल्योपमस्थितयः' इस कथन को आधार मानकर कुछ आचार्य वाण-व्यन्तर देवी की उत्कृष्ट स्थिति एक पल्योपम की मानते हैं वह आगम से असंमत है। प्रज्ञापना में कहा है कि हे भगवन् ! वाणव्यन्तर देवी की आयु कितनी हैं? हे गौतम ! वाणव्यन्तर देवी की जघन्य आयु दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट आयु आधापल्योपम है। वास्तव में श्री आदि देवियाँ भवनपतिनिकाय की हैं। जैसे कि संग्रहणी की टीका में हरिभद्रसूरि जी म. ने कहा है कि 'तासां भवनपतिनिकायान्तर्गतत्वात् ।' श्री आदि देवियाँ भवनपतिनिकाय की है। ज्योतिषी—इनके दो भेद हैं—(i) चर—मनुष्य क्षेत्रवर्ती, मेरु पर्वत के चारों ओर प्रदक्षिणा के रूप में भ्रमण करने वाले चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारा = ५ (ii) स्थिर—मानुषोत्तर पर्वत के बाहर स्वयम्भूरमण समुद्र पर्यन्त घण्टे की तरह आकाश में स्थिर रहने वाले चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारा = ५ चर ज्योतिषी ५ + ५ स्थिर = १० भेद ज्योतिष् देव । स्थिति उ० । ज्योतिष देवी । स्थिति उ० जघन्य चन्द्र व उसके १ लाख वर्ष अधिक | चन्द्र की देवी तथा | अर्धपल्योपम और पल्योपम का विमानवासी देव । १ पल्योपम की विमानवासी देवियाँ पचास हजार वर्ष । चौथा भाग ।। सूर्य तथा उसके । १ पल्योपम और सूर्य की देवी तथा / अर्धपल्योपम और | पल्योपम का चौथा विमानवासी देव १ हजार वर्ष विमानवासी देवियाँ । ५०० वर्ष । अधिक भाग १ पल्योपम की ग्रह तथा उसके विमानवासी देव ___ग्रहदेवी तथा अर्ध पल्योपम की | पल्योपम का चौथा विमानवासी देवियाँ भाग ___ नक्षत्रदेवी तथा पल्योपम का चौथा | पल्योपम का चौथा विमानवासी देवियाँ भाग कुछ अधिक भाग नक्षत्र तथा उसके | अर्ध पल्योपम की विमानवासी देव तारा तथा विमान- पल्योपम का चौथा | तारा देवी तथा | कुछ अधिक | पल्योपम का आठवां वासी देव विमानवासी देवियाँ पल्योपम का आठवां भाग भाग भाग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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