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१. स्पर्शनेन्द्रिय २. रसनेन्द्रिय
३. प्राणेन्द्रिय
४. चक्षुरिन्द्रिय
५. श्रोत्रेन्द्रिय
इन्द्रिय के दो भेद हैं१. द्रव्येन्द्रिय
२. भावेन्द्रिय
(ii) आभ्यंतर निर्वृत्ति
—
द्रव्येन्द्रिय के दो भेद हैं- निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय और उपकरण द्रव्येन्द्रिय ।
इन्द्रिय की आकार रचना को निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय कहते हैं। आकार भी दो प्रकार के हैं- (i) बाह्य
और (ii) आभ्यंतर (i) बाह्य निर्वृत्ति
-
- त्वचा ।
जिस इन्द्रिय से स्पर्श का ज्ञान होता है वह स्पर्शन- इन्द्रियजिस इन्द्रिय से रस का ज्ञान होता है वह है रसन- इन्द्रिय- जीभ । जिस इन्द्रिय से गंध का ज्ञान होता है वह है घ्राण - इन्द्रिय- नाक । जिस इन्द्रिय से रूप का ज्ञान होता है वह है चक्षु - इन्द्रिय- आँख । जिस इन्द्रिय से शब्द का ज्ञान होता है वह है श्रोत्र - इन्द्रिय-कान |
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द्वार १८८
नाक, कान आदि इन्द्रियों की बाहरी और भीतरी पौगलिक रचना ( आकार विशेष) को द्रव्येन्द्रिय कहते हैं ।
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आत्मा के क्षयोपशम विशेष को भावेन्द्रिय कहते हैं ।
• श्रोत्रेन्द्रिय का आभ्यंतर आकार कदंब के फूल जैसा है ।
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चक्षुरिन्द्रिय का मसूर की दाल जैसा है ।
• घ्राणेन्द्रिय का अतिमुक्तक पुष्प जैसा है।
आँख, कान आदि इन्द्रियों का बाह्य आकार । भिन-भिन्न जीवों की अपेक्षा इन्द्रियों का आकार भिन्न-भिन्न होता है । उदाहरणार्थ मनुष्य के कान लंबे - गोल व सीपं के आकार के होते हैं । किन्तु घोड़े के कान नीचे से चौड़े और ऊपर की ओर जाते-जाते एकदम पतले व तीखे होते हैं ।
आँख, कान आदि इन्द्रियों के बाह्य आकारों के भीतर में स्थित, स्वच्छतर पुद्गलों की रचना । इन्द्रियों का आभ्यंतर आकार निम्न है । जैसे
• रसनेन्द्रिय का खुरपे जैसा है।
• स्पर्शनेन्द्रिय का आकार अनेक प्रकार का होता है क्योंकि जीवों के शरीर का आकार अलग-अलग है । यही कारण है कि स्पर्शन- इन्द्रिय के बाह्य- आभ्यंतर दो भेद नहीं होते क्योंकि उसका आभ्यंतर आकार, बाह्य आकार के समान ही होता है ।
(२) उपकरण द्रव्येन्द्रिय
आभ्यंतर निर्वृत्ति के भीतर रहने वाली अपने-अपने विषय की ग्राहक पौगलिक शक्ति विशेष उपकरण द्रव्येन्द्रिय है ।
प्रश्न- आभ्यंतर निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय और उपकरण द्रव्येन्द्रिय में क्या भेद है ।
उत्तर - आभ्यंतर निर्वृत्ति है इन्द्रियों की भीतरी पौगलिक संरचना और उपकरण है उसके भीतर विद्यमान अपने-अपने विषयों को ग्रहण करने वाली पौगलिक शक्ति । वात, पित्त आदि से उपकरण
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