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१६२
नरक के नाम
(i) घमा (ii) वंशा (iii) शैला
(iv) अंजना
रिष्ठा
'मघा और
(v)
(vi)
(vii) माघवती
नरक गोत्र
रत्नप्रभा
शर्कराप्रभा
प्रथम नरक में द्वितीय नरक में
तृतीय नरक में
चतुर्थ नरक में
पंचम नरक में
षष्ठ नरक में
वालुकाप्रभा
पंकप्रभा
धूमप्रभा
तमः प्रभा
तमः तमप्रभा
(गाढ़ अंधकार वाली)
• 'प्रभा' शब्द बाहुल्य का वाचक है । अर्थात् जहाँ रत्नों का बाहुल्य है वह 'रत्नप्रभा' नरक है..... इत्यादि ॥ १०७१-७२ ॥
१७३ द्वार :
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तीसा य पन्नवीसा पन्नरस दस चेव तिन्नि य हवंति ।
पंचूण सयसहस्सं चेव अणुत्तरा नरया ॥ १०७३ ॥
-गाथार्थ
नारकों के आवास - सात नरक में क्रमश: ३० लाख, २५ लाख, १५ लाख, १० लाख, ३ लाख, ९९,९९५ तथा अनुत्तर अर्थात् अंतिम नरक में ५ नरकावास हैं ।। १०७३ ।।
-विवेचन
२५,००,०००
१५,००,०००
१०,००,०००
३,००,०००
९९,९९५
सप्तम नरक में जो पांच नरकावास हैं वे निम्न हैंपूर्व दिशा में
पश्चिम दिशा में
दक्षिण दिशा में
उत्तर दिशा में
मध्य दिशा में
कुल संख्या ८४,००,००० =
३०,००,००० नरकावास है ।
33
=
=
33
33
( रत्नों की अधिकता वाली) (पत्थरों की अधिकता वाली)
( रेत की अधिकता वाली) (कीचड़ की अधिकता वाली ) (धुएँ की अधिकता वाली) (अंधकार बहुल)
""
""
द्वार १७२ १७३
काल नरकावास, महाकाल नरकावास, रोरुक नरकावास, महारोरुक नरकावास, अप्रतिष्ठान नरकावास
नरकवास है ।
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नरकावास
॥१०७३ ॥
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