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________________ १३६ द्वार १५८ Saroodaisonacc00000000000० . COM समछेयाणंतपएसियाण पल्लं भरिज्जाहि ॥ १०२२ ॥ तत्तो समए समए एक्केक्के अवहियंमि जो कालो। संखिज्ज वासकोडी सुहमे उद्धारपल्लंमि ॥ १०२३ ॥ वाससए वाससए एक्केक्के बायरे अवहियंमि। बायर अद्धापलियं संखेज्जा वासकोडीओ ॥ १०२४ ॥ वाससए वाससए एक्केक्के अवहियम्मि सुहमंमि। सुहमं अद्धापलियं हवंति वासा असंखिज्जा ॥ १०२५ ॥ बायरसुहुमायासे खेत्तपएसाणुसमयमवहारे । बायरसुहुमं खेत्तं उस्सप्पिणीओ असंखेज्जा ॥ १०२६ ॥ -गाथार्थपल्योपम—पल्योपम के तीन भेद हैं। उद्धारपल्योपम, अद्धापल्योपम एवं क्षेत्रपल्योपम । पूर्वोक्त तीनों ही बादर और सूक्ष्म के भेद से दो-दो प्रकार के हैं ।। १०१८ ॥ ___ एक योजन विस्तृत, कुछ अधिक तीन गुणा परिधिवाला तथा एक योजन गहरा खड्डा पल्य कहलाता है ।। १०१९ ।। एक दिन, दो दिन, तीन दिन या अधिक में अधिक सात रात-दिन के बालक के केशों के सूक्ष्म अग्रभागों से आकण्ठ दबा-दबा कर उस पल्य को भरना चाहिये ।। १०२० ।। तत्पश्चात् प्याले में से प्रतिसमय एक-एक बालाग्र को निकालना चाहिये। जितने समय में वह प्याला रिक्त होता है, वह समय की इकाई बादर उद्धार पल्योपम कहलाती है। यह संख्याता समय प्रमाण है ।। १०२१॥ एक-एक बालाग्र के चर्मचक्षु से दिखाई न दे ऐसे असंख्यात खंड करके पूर्वोक्त परिमाणवाले पल्य को ढूंस-ठूस कर भरना चाहिये। प्रत्येक खंड अनन्त प्रदेश रूप, एक सदृश होते हैं ।। १०२२ ॥ तत्पश्चात् प्रतिसमय एक-एक खंड प्याले में से निकालते-निकालते जितने समय में प्याला खाली होता है वह कालखंड सूक्ष्म उद्धारपल्योपम कहलाता है। सूक्ष्म उद्धारपल्योपम संख्याताक्रोड वर्ष परिमाण होता है ।। १०२३ ।। एक एक बादर बालाग्र को सौ-सौ वर्ष के पश्चात् निकालने पर संख्याता क्रोड़ वर्ष में प्याला खाली होता है। यह बादर अद्धापल्योपम का परिमाण है ।। १०२४ ॥ सौ-सौ वर्ष के पश्चात् एक-एक सूक्ष्म बालाग्र को निकालने पर असंख्यात क्रोड वर्ष व्यतीत होते हैं। यह सूक्ष्म अद्धापल्योपम का परिमाण है॥ १०२५ ।। सूक्ष्म एवं बादर बालाग्र से ठसाठस भरे हुए प्याले के आकाश प्रदेशों को प्रति समय निकालने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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