________________
प्रवचन-सारोद्धार
जालम3608655500-00000000000
200८पदार
एस-20140-44000000035523003
अवगाहणाय सिद्धा उक्किट्ठजहन्नमज्झिमाए अ। गिहिलिंगअन्नलिंगस्सलिंगसिद्धाण संखाउ ॥११॥ बत्तीसाई सिझंति अविरयं जाव अट्ठहीयसयं । अट्ठसमएहिं एक्केक्कूणं जावेक्कसमयंतं ॥१२॥ थीवेए पुंवेए नपुंसए सिज्झमाणपरिसंखा। . सिद्धाणं संठाणं अवठिइठाणं च सिद्धाणं ॥१३॥ अवगाहणा य तेसिं उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना य। नामाइ चउण्हपि हु, सासयजिणनाहपडिमाणं ॥१४॥ उवगरणाणं संखा जिणाण थविराण साहुणीणं च। जिणकप्पियाण संखा उक्किट्ठा एगवसहीए ॥१५ ॥ छत्तीसं सूरिगुणा विणओ बावन्नभेअपडिभिन्नो। चरणं करणं जंघाविज्जाचारणगमणसत्ती ॥१६ ॥ परिहारविसुद्धि अहालंदा निज्जामयाण अडयाला। पणवीस भावणाओ सुहाउ असुहाउ पणवीसं ॥१७॥ संखा महव्वयाणं किइकम्माण य दिणे तहा खित्ते। चारित्ताणं संखा ठियकप्पो अठियकप्पो य ॥१८ ॥ चेइय पुत्थय दंडय तण चम्म दुसाइ पंच पत्तेयं । पंच अवग्गहभेया परीसहा मंडली सत्त ॥१९॥ दसठाणववच्छेओ खवगस्सेढी य उवसमस्सेढी। थंडिल्लाण सहस्सो अहिओ चउसहियवीसाए ॥२०॥ पुव्वाणं नामाइं पयसंखासंजुयाइं चउदसवि। निग्गंथा समणा वि य, पत्तेयं पंच पंचेव ॥२१॥ गासेसणाण पणगं पिंडे पाणे य एसणा सत्त । भिक्खारिया वीहीणमट्ठगं पायच्छित्ताणं ॥२२॥ सामायारी ओहंमि पयविभागंमि तहय दसहा उ (चक्कवालंमि)। निग्गंथत्तं जीवस्स पंचवाराओ भववासे ॥२३ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org