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द्वार २६
१७२
मायंगो विजया जिय बंभो मणुओ य सुरकुमरो ॥ ३७३ ॥ छम्मुह पयाल किन्नर गरुडो गंधव्व तह य जक्खिदो। कूबर वरुणो भिउडी गोमेहो वामण मयंगो ॥ ३७४ ॥
-विवेचन२४ तीर्थंकरों की भक्ति में विशेष परायण देव यक्ष अधिष्ठायक कहलाते हैं। तीर्थंकरों के यक्ष
क्र.
नाम
वर्ण
वाहन
हाथ
हाथ में क्या?
मुख
हाथी
१. गोमुख सुनहरा हाथी ४ । २ दायें हाथों में अक्षमालिका,
गाय __ आशीर्वाद मुद्रा।
जैसा
२ बायें हाथों में मातलिंग, पाशक । २. महायक्ष कृष्ण ऐरावण ८ ४ दायें हाथों में वरद, मुगर,
अक्षसूत्र, पाशक ४ बायें हाथों में बांजोरा, अभयमुद्रा,
अंकुश, शक्ति । ३. त्रिमुख कृष्ण मयूर । ६ ३ दायें हाथों में नकुल, गदा, त्रिमुख
अभयमुद्रा
और त्रिनेत्र ३ बायें हाथों में मातुलिंग, नाग,
अक्षसूत्र यक्षनायक कृष्ण गज ४ । २ दायें हाथों में मातुलिंग, अक्षसूत्र एक मुख (ईश्वर)
२ बायें हाथों में नकुल, अंकुश तुम्बुरु | श्वेत । गरुड़ । ४ । २ दायें हाथों में वरद, शक्ति | एक मुख
२ बायें हाथों में गदा, नागपाश ६. कुसुम नीला हिरण । ४ । २ दायें हाथों में फल, अभयमुद्रा एक मुख
२ बायें हाथों में नकुल, अक्षसूत्र मातंग नीला गज ४ २ दायें हाथों में बिल्व, पाश | एक मुख
२ बायें हाथों में नकुल, अंकुश
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