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द्वार २१-२२
-विवेचन२४ जिन के केवलज्ञानी मुनियों की संख्या
७.
१४.
२०,००० २०,००० १५,००० १४,००० १३,००० १२,०००
११,००० १०,००० ७,५०० ७,००० ६,५०० ६,०००
५,६०० ५,००० ४,५०० ४,३०० ३,२०० २,८००
२,२०० १,८०० १,६०० १,५०० १,०००
७००
२२.
५. ६.
१६. १७. १८.
२३. २४.
१२.
अन्यमतानुसार अजित जिन के २२,००० एवं कुंथुनाथ स्वामी के २२०० केवलज्ञानी थे। २४ जिन के केवलज्ञानी मुनियों की संख्या १,७६,१०० है ।। ३५१-३५४ ।।
२२ द्वार : 7
मनःपर्यवज्ञानी-संख्या
मणपज्जविमाणमिम्हि तु ॥ ३५४ ॥ बारससहस्स तिण्हं सय सड्ढा सत्त पंच य दिवढं । एगदस सड्छस्सय दससहसा चउसया सड्ढा ॥ ३५५ ॥ दससहसा तिण्णि सया नव दिवड्डसया य अट्ठ सहसा य । पंचसय सत्तसहसा सुविहिजिणे सीयले चेव ॥ ३५६ ॥ छसहस दोण्हमित्तो पंच सहस्साइं पंच य सयाई। पंच सहस्सा चउरो सहस्स सयपंचअब्भहिया ॥ ३५७ ॥ चउरो सहस्स तिन्नि य तिण्णेव सया हवंति चालीसा। सहसदुगं पंचसया इगवन्ना अरजिणिंदस्स ॥ ३५८ ॥ सत्तरससया सपन्ना पंचदससया य बारसय सड्डा। सहसो सय अट्ठम पंचेव सया उ वीरस्स ॥ ३५९ ॥
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