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प्रवचन-सारोद्धार
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जिन जनक नाम
१. नाभि २. जितशत्रु ३. जितारि ४. संवर ५. मेघ ६. धर
७. प्रतिष्ठ ८. महासेन ९. सुग्रीव १०. दृढ़रथ ११. विष्णु १२. वसुपूज्य
१३. कृतवर्म १४. सिंहसेन १५. भानु १६. विश्वसेन १७. सूर १८. सुदर्शन
१९. कुंभ २०. सुमित्र २१. विजय २२. समुद्रविजय २३. अश्वसेन २४. सिद्धार्थ
॥ ३२०-३२४ ॥
१२ द्वार:
जिन-जननी-जनक-गति
अट्ठण्हं जणणीओ तित्थयराणं तु हुंति सिद्धाओ। अट्ठ य सणंकुमारे माहिंदे अट्ठ बोद्धव्वा ॥३२५ ॥ नागेसुं उसहपिया सेसाणं सत्त हुंति ईसाणे। अट्ठ य सणंकुमारे माहिंदे अट्ठ बोद्धव्वा ॥३२६ ॥
-विवेचनमाता-पिता की गति
ऋषभदेव के पिता
नाग कुमार देव में
१ से ८ जिनेश्वरों सिद्ध की माता ९ से १६ जिनेश्वरों | तीसरे देवलोक में की माता
२ से ८ जिनेश्वरों के पिता
दूसरे देवलोक में
चौथे देवलोक में
१७ से २४ जिनेश्वरों की माता
९ से १६. जिनेश्वरों | तीसरे देवलोक में के पिता
चौथे देवलोक में
१७ से २४ जिनेश्वरों के पिता .
सिद्धान्त के मतानुसार—अजितनाथ भगवान के पिता सिद्ध हुए।
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