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________________ प्रवचन-सारोद्धार १५३ ___-विवेचन वर्तमान २४ तीर्थंकरों के प्रथम गणधरों के नाम तीर्थंकर गणधर तीर्थंकर गणधर तीर्थंकर गणधर १. ऋषभ....... ऋषभसेन २. अजित....... सिंहसेन ३. संभव..... चारु ४. अभिनन्दन..... वज्रनाभ ५. सुमति......... ६. पद्मप्रभ..... प्रद्योत ७. सुपार्श्व....... विदर्भ ८. चन्द्रप्रभ......... दत्तप्रभव ९. सुविधि..... वराह १७. कुं.... शम्ब १०. शीतल...... प्रभुनन्द १८. अरना..... कुम्भ ११. श्रेयां...... कौस्तुभ १९. मल्लिनाथ...... भिषज १२. वासुपूज्य...... सुभौम २०. मुनिसुव्रत...... मल्लि १३. विमल......... मन्दर २१. नमिनाथ........ सुम्भ १४. अनन्त..... यश | २२. नेमिनाथ........ वरदत्त १५. धर्म....... अरिष्ट २३. पार्श्वनाथ..... आर्यदत्त १६. शान्ति...... चक्रायुध । २४. महावी....... इन्द्रभूति चमर ऋषभादि २४ जिनेश्वरों के प्रथमगणधर नमन करने वालों के पापों को नाश करें ॥ ३०४-३०६ ॥ ९ द्वार : प्रवर्तिनी नाम बंभी फग्गू सामा अजिया तह कासवी रई सोमा। सुमणा वारुणि सुजसा धारिणि धरिणी धरा पउमा ॥३०७ ॥ अज्जा सिवा सुहा दामणी य रक्खी य बंधुमइनामा। पुप्फवई अनिला जक्खदिन्न तह पुष्पचूला य ॥३०८ ॥ चंदण सहिया उ पवत्तिणीओ चउवीसजिणवरिंदाणं । दुरियाई हरंतु सया सत्ताणं भत्तिजुत्ताणं ॥३०९ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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