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द्वार ६
दशमव्रत के ५ अतिचार-१. आनयन, २. प्रेषण, ३. शब्दानुपात, ४. रूपानुपात, ५. पुद्गलप्रक्षेप-ये पाँच देशावकाशिकव्रत के अतिचार हैं ।।२८४ ।।
___ एकादशव्रत के ५ अतिचार-१. अप्रमार्जित शय्या, २. दुष्प्रमार्जित शय्या, ३. अप्रमार्जित स्थंडिल, ४. दुष्प्रमार्जित स्थंडिल तथा ५. अननुपालन-ये पाँच पौषध व्रत के अतिचार हैं ॥२८५ ॥
द्वादशव्रत के ५ अतिचार-१. सचित्तनिक्षेप, २. सचित्तपिधान, ३. अन्य व्यपदेश, ४. मात्सर्य और ५. कालातिक्रम-ये पाँच बारहवें अतिथिसंविभाग व्रत के अतिचार हैं ॥२८६ ।।
-विवेचन
संलेखना के अतिचार ८ दर्शनाचार के अतिचार ३ वीर्याचार के अतिचार
१५ कर्मादान के अतिचार ८ चरित्राचार के अतिचार ५ सम्यक्त्व के अतिचार
८ ज्ञानाचार के अतिचार १२ तपाचार के अतिचार ६० बारहव्रत के अतिचार
संलेखना के ५ अतिचार
१. इहलोक आशंसा
२. परलोक आशंसा
- मनुष्य की अपेक्षा से मानव समूह इहलोक है, उससे भिन्न देव ।
समूह परलोक है। आशंसा का अर्थ है-अभिलाषा। इहलोक-आशंसा का अर्थ है अनशनादि आराधना के फलस्वरूप अगले जन्म में इस जीवन की अपेक्षा उच्च जीवन की कामना करना। जैसे, मैं अगले जन्म में हाथी, घोड़ों से सुशोभित सैंकड़ों अश्वशालाओं से युक्त, सुवर्ण, रत्न, मणि, माणिक्य की समृद्धि से कुबेर के भण्डार को जीतने वाले खजानों वाला राजाधिराज
बनूँ...बुद्धिमान महामन्त्री बनें....समृद्धिशाली सेठ बनूँ आदि । - अपनी आराधना के फलस्वरूप अगले जन्म में देव-देवेन्द्र आदि
पद की कामना करना। परलोकाशंसा में वर्तमान जीवन की अपेक्षा भविष्य में ऊँची पर्याय वाले जीवन की अभिलाषा करना है। जैसे मनुष्य होकर देवभव की कामना करना। जबकि इहलोक आशंसा में वर्तमान जीवन की अपेक्षा समान पर्याय वाले ऐश्वर्ययुक्त जीवन की अगले जन्म के लिये इच्छा करना । जैसे आराधना के फलस्वरूप अगले जन्म में चक्रवर्ती राजा आदि बनने की अभिलाषा रखना। ऐसे भावनाहीन क्षेत्र में अनशन स्वीकार किया कि जहाँ शासन की प्रभावना करने वाला पूजादि समारोह नहीं हो सकता। ऐसी
३. मरण-आशंसा
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