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________________ सम्पादकीय :44.54 :5552021 - सलमान CONCOM ३. इसका तृतीय संस्करण मुनि पद्मसेनविजय और मुनि मुनिचन्द्रविजय (वर्तमान में मुनिचन्द्रसूरि) द्वारा सम्पादित होकर भारतीय प्राच्य तत्त्व प्रकाशन समिति, पिण्डवाड़ा से ईस्वी सन् १९८३ में प्रकाशित हुआ था। प्रवचनसारोद्धार श्री उदयप्रभसूरि रचित विषमपदार्थावबोध टिप्पणी के साथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ गोपीपुरा संघ, सूरत द्वारा सन् १९८८ में प्रकाशित हुआ। इसके सम्पादक हैं मुनि मुनिचन्द्रविजय (वर्तमान में मुनिचन्द्रसूरि)। ५. प्रवचनसारोद्धार गुजराती भावानुवाद सहित शिव जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ, मुम्बई द्वारा सन् १९९२ में दो भागों में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुवादक हैं—मुनिराज श्री अमितयशविजयजी म० एवम् सम्पादक हैं—पंन्यास श्री वज्रसेनविजयजी म० । प्रवचनसारोद्धार संज्ञक रचनाएँ-इस नाम से तीन कृतियाँ प्राप्त होती हैं १. प्रवचनसारोद्धार : श्री नेमिचन्द्रसूरि रचित प्रस्तुत ग्रन्थ है। २. लघु प्रवचनसारोद्धार : श्री हेमचन्द्रसूरि शिष्य श्रीचन्द्रसूरि रचित। यह अत्यन्त संक्षिप्त है, इसमें मूल द्वार २५ हैं और कुल ११८ गाथाएँ प्राकृत में है। प्रकाशित हो चुका ३. प्रवचनसार/सारोद्धार : इसके प्रणेता स्थानकवासी रूपसिंहगणि हैं। ये आचार्य जसवन्त के शिष्य थे। रचनाकाल १६२९ (?) है। रचना स्थान पुष्पवतीनगरी है। गाथा संख्या ७५० है और ३५५ अन्तर द्वार हैं। विक्रम संवत् १६९२ की लिखित प्रति आचार्य श्री जयमल्ल संग्रहालय, पीपाड़ में संग्रहीत है, अप्रकाशित है। इसका अध्ययन और · प्रकाशन अपेक्षित है। सम्पादन शैली–मूल पाठ की शुद्धि का विशेष ध्यान रखते हुए गाथार्थ और विवेचन का भाषा की दृष्टि से सम्पादन किया गया है। पाठकों की सुविधा के लिए प्रत्येक गाथा का अनुवाद और विवेचन न देकर, प्रारम्भ में प्रत्येक द्वार की समस्त गाथाएँ, पश्चात् गाथार्थ और तदन्तर विवेचन दिया गया है। भावानुवाद होने के कारण विवेचन में पद्य क्रमांक देना कठिन होने पर भी यथाशक्य गाथा क्रमांक दिया गया है। सम्पादन और संशोधन में यथासाध्य ध्यान रखने पर भी दृष्टिदोष से यत्र-तत्र स्खलना रह गई हो, उसे विद्वज्जन क्षमा करें। महोपाध्याय विनयसागर जयपुर ९-९-१९९९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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