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________________ बीस स्थानक तप ] [ ६१ - २० स्थानक की २० ओली पूर्ण करने पर महोत्सव करें; प्रभावना करें, उजमणा करके इस महान तप की आराधना पूर्ण होने का आनंद व्यक्त करें । - अगर ६ महिनों में एक ओली न हो तो वापिस ओली चालू करनी पड़ती है। - हर एक ओली के दिन जिनेश्वर भगवान के समक्ष स्वस्तिक, खमासमण और काउसग्ग करना चाहिए। हर एक पद को २० नवकारवाली गिननी चाहिए । - ये सब क्रिया करके उन पद के गुणों का स्मरण-चिंतन करके आनंदित होना चाहिए । जाप का पद | स्वस्तिक | खमासमण काउ.लो. नवकार - ل ل ل ل ل ل ل ل ل ل ॐ नमो अरिहंताणं ॐ नमो सिद्धाणं ॐ नमो पवयणस्स ॐ नमो आयरियाणं ॐ नमो थेराणं ॐ नमो उवज्झायाणं ॐ नमो लोए सव्वसाहणं ॐ नमो नाणस्स ॐ नमो दंसणस्स ॐ नमो विणयसंपन्नस्स ॐ नमो चारित्तस्स ॐ नमो बंभवयधारिणं ॐ नमो किरियाणं ॐ नमो तवस्स ॐ नमो गोयमस्स ॐ नमो जिणाणं ॐ नमो संयमस्स ॐ नमो अभिनवनाणस्स ॐ नमो सुयस्स ॐ नमो तित्थस्स arrrrrrrr-9 miraramrorrorm Mero1990sro9० arm YmrowNNXr9 Mrwomrarm 1006 moCOWGNGK00GmW -rrrorNNxxxn Marnar nagwomg9OVOOOWON ०००००००००००००००००००० ا ل ل ل ل ل ل ل ل ل 'बीस स्थानक पद पूजा' तथा 'विधिप्रपा' आदि ग्रंथों से यह विधिसंकलित की गई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001715
Book TitleGyansara
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size11 MB
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