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ज्ञानसार
सांसारिक जीव उन्हें उपकारी माने या न माने, लेकिन वे निरंतर उपकार करते ही रहते हैं | उनके मनमें जीव मात्र के कल्याण की भावना ही बसी हुई होती है । प्रखर प्रकाश के दाता सूर्य को भले ही कोई उपकारी माने या नहीं मानें, सूर्य प्रकाश देता ही रहता है । क्योंकि यह उसका मूल स्वभाव है ! ठीक उसी तरह, तत्त्वदृष्टि महास्माओं का मूल स्वभाव ही दीन-हीन-दयनीय जीवों के प्रति दया हो, उपकार करने का है ।
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