SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्रिया भाव से करनी ही पड़ेगी । ठीक उसी तरह यदि परम आत्म-सुख का अनुभव करना है, तो उसके लिये आवश्यक क्रियाओं को करना ही पड़ेगा। गुणवदबहुमानादेनित्यस्मत्या च सत्किया । जातं न पातयेद् भावमजातं जनयेदपि ॥५॥६६॥ अर्थ : अधिक गुणवंत के बहुमानादि से तथा अंगीकृत नियमों को नियमित संभालने से शुभ क्रिया, प्रगट हुए शुभ भाव को न मिटाये, न नष्ट करे, साथ ही जो भाव अभी प्रगट नहीं हुए हैं, उन्हें उत्पन्न करती है । विवेचन : अन्तरात्मा से प्रगट शुभ........पवित्र.....उन्नत........मोक्षानुकूल भाव तो हमारी अमूल्य निधि है, सर्वश्रेष्ठ संपत्ति है । इसका संरक्षण करना हमारा परम कर्तव्य है । प्रस्तुत भाव की संपदा के माध्यम से ही हम परमपद की प्राप्ति कर सकेंगे। भाव की भी अपनी विशेषता है। यदि प्रति समय सावधानी से उसका संरक्षण न करें, तो इसे खत्म होते देर नहीं लगती । ऐसे शुभ, लेकिन चंचल भावों का संरक्षण करने के लिये सात उपाय बताये हैं, जो सरल हैं और सुन्दर हैं । लेकिन इन उपायों का अवलंबन तभी किया जा सकता है जब शुभ भावों का समुचित मूल्यांकन किया गया हो, बाह्य भौतिक संपत्ति से भी बढ़कर अनंत गुना महत्व उसे दिया गया हो । शुभ भावों की रक्षा के लिये कुछ भी करने की तैयारी होनी चाहिये । उसके लिये जो भोग देता आवश्यक है, देने के लिये हमें सदैव तत्पर रहना चाहिये। * सत्य के पवित्र भाव का संरक्षण करने हेतु राजा हरिश्चन्द्र ने अपना सब कुछ त्याग दिया था। राजसी ठाठ-बाठ, वैभव-विलास, यहाँ तक कि सर्वस्व त्याग कर, चंडाल के हाथ खुद बिक जाने तक का ज्वलन्त बलिदान किया था । * अहिंसा के उन्नत भाव की रक्षा हेतु महाराजा कुमारपाल ने अपने पैर की चमड़ी काटकर मकोड़े को बचा लिया था। * सतीत्व के सर्वोत्तम भाव के जतन के लिये सीता ने लंकापति रावण की अशोक वाटिका में कष्ट सहन किये थे। पितृ-वचन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001715
Book TitleGyansara
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy