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८. त्याग
तुम एकाध व्यक्ति अथवा वस्तु का परित्याग करते हो, यह महत्त्वपूर्ण नहीं है। बल्कि तुम उसे किस पद्धति से, अथवा किस दृष्टि से त्याग करते हो, यह महत्त्वपूर्ण है।
माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन, और असंख्य स्नेही-स्वजनों का परित्याग करने की हमेशा प्रेरणा देने वाले ज्ञानी महात्मा यहाँ तुम्हें अभिनव माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन, प्रिया तथा स्नेही-स्वजनों से परिचित कराते हुए उनके साथ नये सिरे से सम्बन्ध स्थापित करने की प्रेरणा देते हैं। ___इन्द्रिय-विजेता के लिये सांसारिक, स्थूल जगत के प्रिय-पात्रों का परित्याग करना सरल है । अतः नये दिव्य स्नेही-स्वजनों से परिचय कर लो ।
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