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२४१
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२५१
२५३
४.२.७ अमितगति के योगसार के अनुसार अन्तरात्मा का स्वरूप एवं लक्षण २३९ ४.२.८ गुणभद्र एवं प्रभाचन्द्राचार्य के अनुसार अन्तरात्मा का स्वरूप एवं लक्षण
२४१ ४.२.९ हेमचन्द्राचार्य के अनुसार अन्तरात्मा का स्वरूप ४.२.१० बनारसीदासजी की दृष्टि में अन्तरात्मा का स्वरूप एवं लक्षण । २४२ ४.२.११ आनन्दघनजी के अनुसार आत्मा का स्वरूप ४.२.१२ देवचन्द्रजी के अनुसार आत्मा का स्वरूप
२४७ ४.२.१३ श्रीमद् राजचन्द्रजी के अनुसार अन्तरामा
२४८ ४.३३ अन्तरात्मा के प्रकार
२५० ४.३.१ अविरतसम्यगदृष्टि तथा देशविरत श्रावक का स्वरूप एवं लक्षण (क) अविरतसम्यगदृष्टि जघन्य अन्तरात्मा कैसे है ?
२५१ (ख) जघन्य-मध्यम अन्तरात्मा : देशविरतसम्यगदृष्टि
२५२ ४.३.२ देशविरत श्रावक का स्वरूप
१. सप्तव्यसन का त्याग २. मार्गानुसारी के ३५ गुण
२५४ ३. श्रावक के बारह व्रत
२५५ ४. श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएँ
२६३ ४.३.३ सर्वविरत अन्तरात्मा
२६७ मध्यम-मध्यम अन्तरात्मा किसे कहते हैं ?
२६७ १. मुनि का स्वरूप एवं लक्षण
२६८ २. श्रमण के पंचमहाव्रत ३. अष्टप्रवचन माता : समिति एवं गुप्ति ४. दस मुनिधर्म
२७९ ५. बाईस परिषह
२७९ ६. पाँच चारित्र
२८० ७. षड्आवश्यक
२५३
२७०
२७५
२८१
८. समाचारी
२८२
९. दिनचर्या १०. प्रतिलेखन
२८३ २८३
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