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४. आत्मा देहव्यापी और सर्वव्यापी - दोनों ही है ५. आत्मा के भावात्मक स्वरूप का चित्रण ६. निषेधात्मक रूप से आत्मा के स्वरूप का चित्रण ज्ञानोपयोग और दर्शनोपयोग १. ज्ञानापयोग के भेद २. ज्ञान की परिभाषा ३. ज्ञान आत्मा से कथंचित् भिन्न-अभिन्न ४. आत्मा अनन्त-चतुष्टय से युक्त है (क) अनन्तदर्शन और अनन्तज्ञान (ख) अनन्तसौख्य (ग) अनन्तवीर्य आत्मा की स्वभाव और विभाव परिणति १. आत्मा परिणामी कैसे? २. आत्मा अपरिणामी कैसे ? ३. आत्मा कथंचित् मूर्त और कथंचित् अमूर्त है ४. आत्मा के अनिर्वचनीय स्वरूप का चित्रण ५. बौद्धदर्शन की अपेक्षा से आत्मा की अवधारणा भगवतीसूत्र के अनुसार आत्मा के आठ प्रकार आत्मा (जीवों) के प्रकार १. संसारीजीव के भेद २. इन्द्रियों की अपेक्षा से संसारीजीव के भेद ३. भव्यात्मा की अपेक्षा से संसारीजीवों के भेद ४. गति की अपेक्षा से संसारीजीव के भेद आत्मा के पंचभाव बन्धन और उसके कारण १. बन्ध के प्रकार २. बन्ध के भेद ३. जैनेतर (अन्य) दर्शनों में बन्ध के कारण ४. जैनदर्शन में कर्मबन्ध के कारण
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