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________________ २५० जैन दर्शन में त्रिविध आत्मा की अवधारणा साधन रूप मानती है, क्योंकि उससे मोक्ष के कार्य को सिद्ध कर लेना चाहती है। अन्तरात्मा की रुचि संयम में होती है - देह में उसका ममत्व नहीं होता।३२ ४.३ अन्तरात्मा के प्रकार आत्मिक गुणों के विकास की दृष्टि से कार्तिकेयानुप्रेक्षा,३३ द्रव्यसंग्रह टीका ३४ एवं नियमसार की तात्पर्यवृत्ति टीका३५ में अन्तरात्मा के तीन भेद उपलब्ध होते हैं : १. जघन्य अन्तरात्मा (अविरतसम्यग्दृष्टि नामक ४था गुणस्थान); २. मध्यम अन्तरात्मा (५वें देशविरत से लेकर ११वें उपशान्तमोह गुणस्थान तक); और ३. उत्कृष्ट अन्तरात्मा (क्षीण कषाय नामक १२वां गुणस्थान)। आचार्य पूज्यपाद ने सत्यशासन परीक्षा में क्षीणकषाय को ही उत्कृष्ट अन्तरात्मा कहा है। आचार्य कुन्दकुन्द ने तो नियमसार की गाथा क्रमांक १४६ में अन्तरात्मा और बहिरात्मा के अन्तर को स्पष्ट करते हुए मात्र यह कहा है कि जो श्रमण आवश्यक क्रियाओं से युक्त है, वही अन्तरात्मा है।३६ प्रस्तुत गाथा की तात्पर्यवृत्ति में मलधारीदेव पद्मप्रभ ने अन्तरात्मा के प्रकारों का वर्णन किया है पर मूलगाथा में इस सम्बन्ध में कोई भी संकेत उपलब्ध नहीं होता। मूलगाथा तो केवल आवश्यक क्रियाओं की अपेक्षा से अन्तरात्मा और बहिरात्मा के लक्षणों का निरूपण करती है। फिर भी पद्मप्रभदेव यहाँ पर परम्परा के अनुसार तीन प्रकार की अन्तरात्माओं का उल्लेख करते हैं। वे लिखते हैं कि अभेद एवं अनौपचारिक दृष्टि से रत्नत्रयात्मक स्वात्मानुष्ठान में नियत परमावश्यक कर्म से अनवरत युक्त परम १३२ 'सर्व भावथी औदासीन्य वृत्ति करी, मात्रं देह ते संयम हेतु होय जो; अन्यकारणे अन्य कशुं कल्पे नहीं, देहे पण किंचित्मूर्छा नव जोयजो ।। २ ।।' -वही । १३३ कार्तिकेयानुप्रेक्षा १६७ । १३४ द्रव्यसंग्रह टीका गा. १४ । नियमसार तात्पर्यवृत्ति टीका गा. १४६ । १३६ 'जोधम्मसुक्कझाणम्हि परिणदो सो वि अंतरंगप्पा । झाणविहीणो समणो बहिरप्पा इदि विजाणीहि ।। १५१ ।।' -नियमसार तात्पर्यवृत्ति टीका । १३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001714
Book TitleJain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyalatashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Soul
File Size8 MB
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