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________________ अन्तरात्मा का स्वरूप, लक्षण और प्रकार पुत्र, पत्नी आदि अचित्त अर्थात् वस्त्र, आभरण आदि और मिश्र अर्थात् वस्त्राभूषण से युक्त स्त्री आदि को परद्रव्य मानती है अर्थात् उन्हें अपना नहीं मानती है। क्योंकि ये सभी आत्मा से भिन्न हैं ।" इस प्रकार वह अन्तरात्मा बहिर्मुखता का परित्याग कर अपने निजस्वरूप ( अर्थात् शुद्धात्मा) में ही निमग्न रहती है और अपनी इस साधना के फलस्वरूप अन्त में परमात्मपद को प्राप्त कर लेती है ।" (ख) नियमसार में आत्मा का स्वरूप अन्तरात्मा के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए आचार्य कुन्दकुन्ददेव कहते हैं कि जो श्रमण सामायिकादि आवश्यक क्रियाओं को करता है, वह निश्चयचारित्र का परिपालन करता है और ऐसा श्रमण मुनिचर्या में अभ्युपस्थित होता है । वचनमय प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, नियम, आलोचन सभी स्वाध्याय के रूप हैं। इनके माध्यम से आत्मा अपने स्वरूप का अध्ययन करती है । अतः जब तक शरीर में शक्ति है तब तक साधक ध्यान, प्रतिक्रमण आदि क्रियाएँ करे और यदि शक्ति न रहे तब भी उन पर श्रद्धान तो अवश्य ही करे। क्योंकि भगवान् ने कहा है कि मौनभाव से भी प्रतिक्रमण आदि के द्वारा आत्मस्वरूप का परीक्षण करता हुआ योगी निज कार्य को साध लेता है अर्थात् परमपद को प्राप्त कर लेता है इसलिए साधक को स्वसमय अर्थात् स्वधर्मियों और परसमय अर्थात् अन्यधर्मियों के साथ विवाद में नहीं पड़ना चाहिये । वस्तुतः यहाँ आचार्य कुन्दकुन्द का निर्देश यही है कि तर्क-वितर्क आदि के माध्यम से विचार विकल्प ही बनते हैं और उसके परिणामस्वरूप न तो परमात्मस्वरूप का बोध होता है और न उसमें अवस्थिति । अन्त में आचार्य कुन्दकुन्द का निर्देश यही है कि साधक आवश्यकादि क्रियाओं को अवश्य करे; क्योंकि भगवान् ने कहा है 1 १० 99 'आदसहावादण्णं सच्चित्ताचित्तमिस्सियं हवदि । तं परदव्वं भणियं अवितत्थं सव्वदरिसीहिं ।। १७ ।। ' 'जिणवरमएण जोई झाणे झाएइ सुद्धमप्पाणं । जेण लहइ णिव्वाणं ण लहइ किं तेण सुरलोयं ।। २० ।।' २११ Jain Education International For Private & Personal Use Only -वही । -वही । www.jainelibrary.org
SR No.001714
Book TitleJain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyalatashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Soul
File Size8 MB
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