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________________ भारतीय संस्कृति में ध्यान परम्परा खण्ड : प्रथम mamm~~~~~~~~~ मा प्रवर्तक धर्म । निवर्तक धर्म (1) दार्शनिक प्रदेय 1. जैविक मूल्यों की प्रधानता | 1. आध्यात्मिक मूल्यों की प्रधानता | 2. विधायक जीवनदृष्टि 2. निषेधक जीवनदृष्टि | 3. समष्टिवादी 3. व्यष्टिवादी 4. व्यवहार में कर्म पर बल, फिर भी 4. व्यवहार में नैष्कर्म्य का समर्थन, भाग्यवाद एवं नियतिवाद का समर्थन ____ फिर भी दृष्टि पुरुषार्थपरक | 5. ईश्वरवादी | 5. अनीश्वरवादी | 6. ईश्वरीय कृपा पर विकास 6. वैयक्तिक प्रयासों पर विश्वास, __ कर्मसिद्धान्त का समर्थन। | 7. साधना हेतु बाह्य साधनों पर बल | 7. साधना हेतु आन्तरिक विशुद्धता पर बल। 8. जीवन का लक्ष्य स्वर्ग/ईश्वर के । 8. जीवन का लक्ष्य मोक्ष/निर्वाण ___ सान्निध्य की प्राप्ति की प्राप्ति | (2) सांस्कृतिक प्रदेय 19. वर्णव्यवस्था और जातिवाद का । 9. जातिवाद का विरोध, वर्णव्यवस्था का जन्मना आधार पर समर्थन केवल कर्मणा आधार पर समर्थन 10.गृहस्थ जीवन की प्रधानता । 10.संन्यास जीवन की प्रधानता 11.सामाजिक जीवनशैली 11.एकाकी जीवनशैली 12.राजतंत्र का समर्थन 12.जनतंत्र का समर्थन 13.शक्तिशाली की पूजा 13.सदाचारी की पूजा 14.विधि-विधानों एवं कर्मकाण्डों 14.ध्यान और तप की प्रधानता की प्रधानता 15.ब्राह्मण संस्था(पुरोहित वर्ग) का विकास | 15.श्रमण संस्था का विकास 16.उपासना मूलक दृष्टि 16.समाधिमूलक दृष्टि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001711
Book TitleJain Dharma me Dhyana ka Aetihasik Vikas Kram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUditprabhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Yoga, Religion, & History
File Size9 MB
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