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________________ खण्ड: नवम जैन धर्म में ध्यान का ऐतिहासिक विकास क्रम आनन्दमुद्राः पिछली चार मुद्राओं की फलनिष्पत्ति इस पाँचवीं मुद्रा में है। प्रार्थना बीज, योगमुद्रा, अंकुर, दीपकमुद्रा पादप, वीतरागमुद्रा फलोद्गम तथा आनन्दमुद्रा फल की रसानुभूति से उपमित की जा सकती है। साधनारत आत्मा का परमात्मभाव के साक्षात्कार की दिशा में अभिवर्धनशीलक्रम के अन्तर्गत ज्यों-ज्यों बहिर्भाव से पार्थक्य होता जाता है, उसकी दृष्टि स्वोन्मुख बनती जाती है। राग-द्वेष के बंधन तड़ातड़ टूटने लगते हैं। यह सब ज्यों ही सध जाता है, असीम आनन्द की अनुभूति होती है जो सर्वथा पर-निरपेक्ष और स्व-सापेक्ष होती है। यह वह आनन्द है, जिसके लिए जगत् में कोई उपमान नहीं है। इस अखण्ड, अनवच्छिन्न, असीम आनन्द की अनुभूति के कुछ ही क्षण अन्तरतम में ऐसी उत्कण्ठा जगा जाते हैं, जो जीवन को एक नया मोड़ देती है, जो इस मुद्रा द्वारा गम्य है।21 महासती जी ने विभिन्न मुद्राओं के आधार पर जो ध्यान विधि आविष्कृत की है वह जैनयोग, पातंजल योग, निर्गुणमार्गी सन्तों द्वारा स्वीकृत ध्यानयोग से समन्वित है। साथ-ही-साथ इसमें वीतरागभाव का संयोजन होने से यह उपक्रम आर्हत् दृष्टिकोण में समाहित हो जाता है। व्यस्त जीवन में लोगों के पास इतना अवकाश नहीं है कि वे साधना या ध्यान में अधिक समय दे सकें। न योगविषयक विस्तृत ग्रन्थों के पढ़ने का ही उन्हें समय है। अत्यन्त संक्षिप्त और सरल विधि ही व्यावहारिक दृष्टि से जन-जन के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है। यही कारण है कि महासती जी जहाँ प्रवास करती हैं वहाँ नित्य प्रति इसके अभ्यासार्थी साधक-साधिकाओं का निरन्तर आवागमन रहता है और वे सभी लाभान्वित होते हैं। महासती जी से इस विधि को सीखे हुए योग्य भाई-बहन अपने परिवार में तथा अपने यहाँ के आध्यात्मिक योग में रुचिशील जनों में इसका यथासम्भव प्रसार करते हैं। जिन-जिन ने इसका अभ्यास किया है उनकी ऐसी प्रतिक्रियायें ज्ञात हुई हैं 21. अर्चनार्चन ग्रन्थ - पंचम खण्ड ~~~~~~~~~~~~~~~ 35 ~~~~~~~~~~~~~~~ Jain Education International . For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001711
Book TitleJain Dharma me Dhyana ka Aetihasik Vikas Kram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUditprabhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Yoga, Religion, & History
File Size9 MB
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