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________________ आचार्य हेमचन्द्र, योगप्रदीपकार व सकलचन्द्रगणि के साहित्य में ध्यानसम्बन्धी निर्देश खण्ड : सप्तम उन्होंने यथाप्रसंग संक्षेप में स्थूल और सूक्ष्म के भेद से स्वरूप और रूपातीत ध्यानों का भी उल्लेख किया है। अन्त में, उन्होंने लिखा है कि साधक स्थूल या सूक्ष्म, साकार-मूर्त या निराकार अमूर्त ध्येय पर अभ्यास करता है, स्थिरतापूर्वक चित्त को एकाग्र करता है, ऐसा करने से ध्यान की सिद्धि होती है। __'योगप्रदीप'कार ने अपने ग्रन्थ में शुद्ध परमात्म स्वरूप का निरूपण किया है और उसी के आधार पर या उसका अवलम्बन लेकर ध्यान करने की प्रेरणा दी है। ध्यान की, विशेषत: उसकी फल-निष्पत्ति आदि के विवेचन के साथ-साथ उन्होंने ध्यान में विघ्न रूप या प्रतिबन्धक बनने वाले चंचल मन को वश में करने का तथा इन्द्रियों का उन-उन विषयों से पृथक् करने का विशेष रूप से निर्देश दिया है। उनके अनुसार ऐसा करने से ही ध्यान में सजीवता आती है। ___ ध्यानाभ्यासी साधकों के लिए यह कृति नि:सन्देह बहुत ही प्रेरणास्पद है। इसके परिशीलन से ध्यान के प्रति मन में आकर्षण उत्पन्न होता है तथा उसमें उत्साह पूर्वक संलग्न होने की मानसिकता बनती है। ध्यान दीपिका : उपाध्याय श्री सकलचन्द्र : - 'ध्यानदीपिका' के प्रणेता श्वेताम्बर मन्दिरमार्गी परम्परा के अन्तर्गत तपागच्छीय उपाध्याय श्री सकलचन्द्र थे। इसमें संस्कृत में रचित 204 श्लोक हैं, साथ-साथ में तद्विषयक अर्द्धमागधी गाथायें भी हैं। ऐसा माना जाता है कि उपाध्याय श्री सकलचन्द्र आचार्यश्री दानविजय के शिष्य थे। उन्होंने तपागच्छ के सुप्रसिद्ध आचार्य श्री हीर विजय सूरि से, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर को अपनी विद्वत्ता एवं उच्च जीवन चर्या से प्रभावित किया था, विद्याध्ययन किया। आचार्य श्री हीर विजय सूरि का देहावसान वि.सं. 1652 में हुआ। ऐसा माना जाता है। ध्यान दीपिका के रचयिता उपाध्याय सकलचन्द्र का देहान्त उनसे पहले ही हुआ। इस ग्रन्थ के अन्तिम श्लोक में इसके रचे जाने का समय वि.सं. 1621 सूचित किया गया है।131. 131. ध्यान दीपिका श्लोक 204, पृ. 249 ~~~~~mmmmmmmmmm 58 mmmmmmmmm~~~~~~ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001711
Book TitleJain Dharma me Dhyana ka Aetihasik Vikas Kram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUditprabhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Yoga, Religion, & History
File Size9 MB
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