SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आचार्य हेमचन्द्र, योगप्रदीपकार व सकलचन्द्रगणि के साहित्य में ध्यानसम्बन्धी निर्देश खण्ड : सप्तम आचार्य शुभचन्द्र द्वारा आसनों के सम्बन्ध में किये गये विवेचन के प्रारम्भ में आसनों की उपयोगिता, ग्राह्यता आदि के विषय में चर्चा की गई है। आचार्य हेमचन्द्र ने भी ध्यानोपयोगी आसनों का संक्षेप में विवेचन किया है। उन्होंने आसनों के अन्तर्गत पर्यंकासन, वीरासन, पद्मासन, भद्रासन, दंडासन, उत्कटिकासन, गोदोहिकासन, कायोत्सर्गासन आदि आसनों का निर्देश दिया है।41 घेरण्ड संहिता में मुख्य रूप से बत्तीस आसनों को अति विशिष्ट उपयोगी बतलाया है जिनमें सिद्धासन, पद्मासन, भद्रासन, वज्रासन, स्वस्तिकासन, सिंहासन, गोमुखासन, वीरासन आदि मुख्य हैं।42 . 'हठयोग प्रदीपिका' में आसनों के सम्बन्ध में लिखा है कि वशिष्ठ आदि मुनियों तथा मत्स्येन्द्र आदि योगियों ने जिन आसनों को अंगीकृत किया है उनमें से कुछ का यहाँ उल्लेख किया जाता है।43 उपर्युक्त कतिपय आसनों के अतिरिक्त वहाँ स्वस्तिकासन, वीरासन, कुक्कुटासन, शवासन आदि का वर्णन किया गया है।44 तत्पश्चात् कहा गया है कि समस्त आसनों में सिद्धासन, पद्मासन, सिंहासन और भद्रासन ये चार अत्यन्त श्रेष्ठ हैं। इन चारों में भी सिंहासन सर्वोत्तम है। योगी उसमें सुखपूर्वक स्थित हो सकता है।45 . महर्षि पतंजलि ने 'योगसूत्र' में आसन का लक्षण बतलाते हुए लिखा हैजिस रूप में स्थित होना साधक के लिए स्थिरताप्रद और सुखप्रद हो, वह आसन है। दूसरा आशय यह है कि जिसमें सुखपूर्वक स्थिरता से टिका जा सके, बैठा जा सके, वह आसन है। ग्रन्थकार ने भी कहा है कि जिस आसन से चित्त की स्थिरता, काया की स्थिरता, कष्टसहिष्णुता तथा देहजड़ता निवारण होने से ध्यान में स्थिरता होती है, उसी आसन का ध्यान के साधन के रूप में प्रयोग करना चाहिए।46 41. योगशास्त्र 4.124-133 42. घेरण्ड संहिता, 2.2 43. हठयोगप्रदीपिका, 20 44. वही, 1.21-35 45. वही, 1.36 46. योगशास्त्र, 4.134 ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~~~ ~~~~ 24 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001711
Book TitleJain Dharma me Dhyana ka Aetihasik Vikas Kram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUditprabhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Yoga, Religion, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy