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________________ खण्ड : तृतीय जैन धर्म में ध्यान का ऐतिहासिक विकास क्रम जो संयमी साधक रत्नत्रय युक्त होता हुआ अपनी शक्ति के अनुसार तपश्चरण करता है वह शुद्ध आत्मा का ध्यान करता हुआ परम पद निर्वाण को प्राप्त करता है । संयमी साधक मन, वचन और काय से वर्षा, शीत, उष्ण इन तीन कालयोगों को धारण कर माया, मिथ्या, निदान इन तीन शल्यों से रहित होकर राग- - द्वेष रूप दो दोषों को छोड़ता हुआ सर्वकर्मविनिर्मुक्त शुद्ध परमात्मा का ध्यान करता है। 57 जो साधक परमात्मा का ध्यान करता हुआ रहता है वह कर्मरूप मल का संचय करने वाले लोभ एवं कषाय से छूटता जाता है, नये कर्मों का वह बन्ध नहीं करता । सुदृढ़ सम्यक्त्व से भावित मतियुक्त ध्यानयोगी दृढ़ चारित्र युक्त होता हुआ, आत्मा का ध्यान करता हुआ परमपद परमात्मपद प्राप्त करता है । 58 साधक आहार, आसन एवं निद्रा का विजय कर इन्हें वश में कर जिनेंद्र प्रभु मत और गुरु के अनुग्रह से आत्मस्वरूप को जानता हुआ उसका ध्यान करे । आत्मा चारित्र, दर्शन एवं ज्ञान युक्त है, गुरु के अनुग्रह से यह जानकर साधक को नित्य आत्मस्वरूप का ध्यान करना चाहिए । 59 जो आत्मा का ध्यान करते हैं, दृढ़ चारित्र युक्त हैं, जिनको दर्शनशुद्धि प्राप्त है - जिनका बाह्य एवं आभ्यन्तर दर्शन शुद्ध है, निश्चय ही वे निर्वाण प्राप्त करते हैं। 60 ध्यान की साध्यता के संदर्भ में ग्रंथकार ने लिखा है कि चारित्रमोह के प्रबल उदय के कारण जिनकी चर्या आचारमूलकक्रिया आवृत्त है, अप्रकट है, जो व्रतों एवं समितियों से रहित हैं, शुद्ध भाव से प्रभ्रष्ट हैं, अत्यन्त पतित हैं, वे कहते हैं कि अभी यह पंचमकाल है इसमें ध्यान योग प्रकट नहीं होता। इस प्रकार कहने वाले सम्यक्त्व से और ज्ञान से रहित हैं, अभव्य हैं, सांसारिक सुखों को श्रेष्ठ जानकर उनमें आसक्त हैं इसलिए वे ऐसा कहते हैं कि यह ध्यान का काल नहीं है । जो पाँच महाव्रतों, पाँच 57. वही, गा. 43, 44 पृ. 298-299 58. वही, गा. 48-49 पृ. 302 59. वही, गा. 63-64 पृ. 312 60. वही, गा. 70 पृ. 316 Jain Education International 19 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001711
Book TitleJain Dharma me Dhyana ka Aetihasik Vikas Kram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUditprabhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Yoga, Religion, & History
File Size9 MB
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