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महायोगेश्वरी श्रद्धया पू. उमराव कुंवर जी म. सा. 'अर्चना' की नेश्राय में जीवन साफल्यता की अनुभूति करते हुए नित्य नया सृजन कर रही है। समय को मूल्यवान मोती बना रही है। शासन की सेवा में रत्न अर्पित करके धर्म दलाली का महत्त्वपूर्ण कार्य यापन किया है।
आपके सुपुत्र सुरेश कुमार जी बैद ने भी व्यापारिक क्षेत्र में अपनी कार्यशैली व योग्यता के कारण विशिष्ट पहचान बनायी है। आपने कई कल्याणकारी योजनाओं में अपना आर्थिक सहयोग देकर मूर्तरूप प्रदान किया है।
आपने अपनी उदारता का परिचय देते हुए अपनी मातुश्री रूकमाबाई सा की प्रेरणा से महासती डॉ. उदित प्रभा जी म.सा. 'उषा' के शोध 'जैन धर्म में ध्यान का ऐतिहासिक विकास क्रम' को प्रकाशित करवाने में अपना आर्थिक सहयोग प्रदान करके अपनी आत्मीयता उदारता, साहित्य रूचिता एवं शिक्षा सेवा का आदर्श प्रस्थापित किया है एतदर्थ साधुवाद ।
परिवार परिचय धर्मपत्नी - श्रीमती रूकमाबाई बैद पुत्र, पुत्र-वधू - सुरेश कुमार जी – लीलाजी पांच पुत्रियाँ - श्रीमती विमला जी कोठारी, श्रीमती संगीता जी लोढ़ा
श्रीमती सन्तोष जी बाघमार, श्रीमती राजकुमारी चौरड़िया पौत्र - निखिल कुमार दो पौत्री - निक्खिता एवं नम्रता । 'बालचन्द री शुभ्र ज्योत्सना।
आस्थामय जीवन उदार मना। अर्चना लोक उदित हुई ऊषा।
ध्यान रश्मियों से नव जय बना। सृष्टि ने किया दिव्य श्रृंगार।
आत्मसात करे कृति के विचार । ध्यानस्थ साधक नमन शत् शत् वार।'
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