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विश्वास है कि विश्वविद्यालयों के हिन्दी विभागों के लिए यह कृति उपयोगी होगी और विद्यार्थी अपभ्रंश भाषा के काव्यों का रसास्वाद कर सकेंगे।
___ इस पुस्तक के प्रकाशन में अकादमी के विद्वान एवं मुद्रण के लिए मदरलैण्ड प्रिन्टिग प्रेस, जयपुर धन्यवादाह हैं।
6 अक्टूबर, 1992 भट्टारकजी की नसियां, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर-302 004
डॉ. कमलचन्द सोगारणी
संयोजक जैन विद्या संस्थान समिति
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[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
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