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पाठ
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16.3
धत्ता - थिउ चक्कु रंग पुरवरि पइसरइ रंगावइ केरण वि धरियउ ॥ ससिबिबु व हि तारायर्णाहं सुरवरोह परियरियउ ॥ 13
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महापुराण
सन्धि-16
तं सुष्पिणु भइ पुरोहिउ
क्खमि तं रिसुसहि परमेसर भुयजुयबलपडिबलविद्दवणहं तेश्रोहा मिय चंद दिसहं कित्तिसत्तिजरण मेत्तिसहायहं सेब करंति रग हाईवइं देति सग करमर केस रिकंधर श्रज्ज वि ते सिज्यंति ण जेरण जि
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ता भरिणयं गिराइमा रूढराइणा
खंडवाडवेयं ।
कि थियमिह रहंगयं णिच्चलंगयं तरुणतरणितेयं ॥ 1
16.4
जेहु गइफ्सर गिरोहिउ ॥ 2 देवदेव दुज्जय मरहेसर 13 पयभर थिरमहियल कंपवरणहं ॥ 4 जगणदिण्ण महिलच्छिविलासहं ॥5 को पडिमल्लु एत्यु तुह मायहं ॥ 6 उ भवंति तुह पयराईव || 7 पर मुहियइ मुंजंति वसुंधर ॥ 8 पइसइ पट्टणि चक्कु ण तेथ जि ॥ 9
16.7
ता विगया बहुयरा जरणमगोहरा रिशवकुमारवासं । दुमदलल लियतोरणं रसियवारणं छिण्णभूमिवेसं
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[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
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