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________________ 34 पाठ 1 16.3 धत्ता - थिउ चक्कु रंग पुरवरि पइसरइ रंगावइ केरण वि धरियउ ॥ ससिबिबु व हि तारायर्णाहं सुरवरोह परियरियउ ॥ 13 6 महापुराण सन्धि-16 तं सुष्पिणु भइ पुरोहिउ क्खमि तं रिसुसहि परमेसर भुयजुयबलपडिबलविद्दवणहं तेश्रोहा मिय चंद दिसहं कित्तिसत्तिजरण मेत्तिसहायहं सेब करंति रग हाईवइं देति सग करमर केस रिकंधर श्रज्ज वि ते सिज्यंति ण जेरण जि Jain Education International ता भरिणयं गिराइमा रूढराइणा खंडवाडवेयं । कि थियमिह रहंगयं णिच्चलंगयं तरुणतरणितेयं ॥ 1 16.4 जेहु गइफ्सर गिरोहिउ ॥ 2 देवदेव दुज्जय मरहेसर 13 पयभर थिरमहियल कंपवरणहं ॥ 4 जगणदिण्ण महिलच्छिविलासहं ॥5 को पडिमल्लु एत्यु तुह मायहं ॥ 6 उ भवंति तुह पयराईव || 7 पर मुहियइ मुंजंति वसुंधर ॥ 8 पइसइ पट्टणि चक्कु ण तेथ जि ॥ 9 16.7 ता विगया बहुयरा जरणमगोहरा रिशवकुमारवासं । दुमदलल लियतोरणं रसियवारणं छिण्णभूमिवेसं # 1 For Private & Personal Use Only [ अपभ्रंश काव्य सौरभ www.jainelibrary.org
SR No.001710
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1992
Total Pages358
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, L000, & L040
File Size13 MB
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