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महाकवि पुष्पदन्त
महाकवि पुष्पदन्त अपभ्रंश के जाने-माने, शीर्षस्थ साहित्यकार है । अपभ्रंश भाषा के सन्दर्भ में महाकवि पुष्पदन्त का स्थान महाकवि स्वयंभू के समान ही प्रमुख है ।
पुष्पदन्त दक्षिण भारत के कर्नाटक प्रदेश के 'बरार' के निवासी थे । ये कश्यपगोत्रीय ब्राह्मण थे । इनके पिता का नाम केशव भट्ट और माता का नाम मुग्धादेवी था । प्रारम्भ में कवि शैव मतावलम्बी थे । बाद में किसी जैन मुनि के उपदेश से प्रभावित होकर जैन धर्मावलम्बी हो गये और मान्यखेट में प्राकर मंत्री भरत के अनुरोध पर जिनभक्ति से प्रेरित काव्य-सृजन में प्रवृत्त हुए ।
महाकवि पुष्पदन्त का समय 10वीं शताब्दी माना जाता है ।
इनकी तीन रचनाएं है— 1. तिसट्ठि महापुरिसगुणालंकार 2 गायकुमारचरिउ तथा 3. जसहर चरिउ ।
1 तिसट्टि महापुरिसगुणालंकार / महापुराण यह ग्रन्थ 'महापुराण' के नाम से भी प्रसिद्ध है । महाकवि की यह रचना अपभ्रंश की विशिष्ट कृति है । महापुराण दो खण्डों में विभक्त है(i) प्रदिपुराण और (ii) उत्तरपुराण । इन दोनों खण्डों में त्रेसठ शलाका पुरुषों अर्थात् 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 वासुदेव (नारायण) तथा 9 प्रतिवासुदेव ( प्रतिनारायण) के चरित वरिणत हैं ।
2. गायकुमारचरिउ- यह खण्ड काव्य है । इस काव्य में श्रुतपंचमी का माहात्म्य बतलाते हुए नागकुमार के चरित का वर्णन किया गया है ।
3. जसहर चरिउ - उ - कवि पुष्पदन्त विरचित सबसे अधिक प्रसिद्ध रचना है । यह अपभ्रंश भाषा की एक उत्तम कृति मानी जाती है । यह भी एक चरित-ग्रन्थ है । यह पुण्यपुरुष 'यशोधर' की जीवनकथा पर आधारित है ।
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
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