________________
Their
सयल
2. उम्मुच्छिवि
अरणम्ह
3. हा-हा
महु
1.
द
ह
सदुक्ख
किं
मुक्की
णिक्कारणि
aafra
4. वारंत
सव्व
मयज
काड
हा हा
कि
( जणणी) 1 / 1
(अ + एवि ) संकृ (a) 2/2 afa (सयल) 1/2 वि
अव्यय
( दुक्ख + आवदुरखाव ) प्रे. भूकृ 1 / 2
अव्यय
(हाअ ) 7/1
Jain Education International
(उम्मुच्छ + इवि) संकृ
(Araft) 1/1 ( मुअ + इवि ) संकृ
अव्यय
( रोवण ) 6/1
( लग्ग ) 1 / 1
अव्यय
( हु हुहुया ) भूकृ 1/1
(अरगाह (स्त्री) अरगाहा ) 1 / 1 वि
अव्यय
( अम्ह ) 6 / 1
(vizor) 1/1
(अम्ह) 1 / 1 स
(स- दुक्ख ) 7/1
अव्यय
( मुक्क (स्त्री) मुक्की) भूकृ 1 / 1 अनि
( णिक्कारण ) 7 / 1 वि
( उवेक्ख ) संकृ
( वार वारंत) व 6/2
( सव्व) 6 / 2 वि
( गयअ ) भूकृ 1 / 1 अनि 'अ' स्वार्थिक
अव्यय
अव्यय
अव्यय
माता
देखकर
उनको
For Private & Personal Use Only
सब
भो
दुःखी
वहाँ ( उस )
स्थान पर
श्रमूच्छित होकर
माँ ने
छोड़कर
चिल्लाहट
रोने का
चिह्न
हाय
हो गई
अनाथ
हाय-हाय
मेरे
पुत्र
मैं
अत्यन्त दुःख में
क्यों
छोड़ दी गई निष्कारण
उपेक्षा करके
अकारान्त पुल्लिंग षष्ठी एकवचन में 'ह' प्रत्यय का प्रयोग भी होता है ( श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 150 ) ।
2. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हे. प्रा.व्या. 3-134),
156 ]
[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
रोकते हुए होने पर
सबके
गये
वयों
हाय-हाय
क्यों
www.jainelibrary.org