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पाठ-7
महापुराण
सन्धि-16
16.11
1.
ता पत्तो चरो
पहले
रिगवइगो
राजा के
घर
भणइ
कहता है (बोला) सुनो
सुण
अव्यय (पत्त) भूकृ 1/1 अनि (चर) 1/1 अव्यय (णिवइ) 6/1 (घर) 2/1 (भण) व 3/1 सक (सुण) विधि 2/1 सक (सु-राय) 8/1 (इसि) 1/2 (तुम्ह)6/1 स (सहोयर) 1/2 [(सील)--(सायर) 1/2] अव्यय (देव) 8/1 (जाय) भूकृ 1/2 अनि
हे श्रेष्ठ राजन
सुराया इसिणो
मुनि तुम्हारे
भाई
सहोयरा सीलसायरा अज्जु
शील के सागर प्राज हे देव हो गये
जाया
एक
हो
पर बाहुबलि सुदुम्मा णउ तउ
किन्तु बाहुबलि अत्यन्त दुर्मति
एक्क 1/I वि अव्यय अव्यय (बाहुबलि) 1/1 (सुदुम्मइ) 1/1 वि अव्यय (तअ) 2/1 (कर) व 3/1 सक अव्यय (तुम्ह) 4/2 (पणव) व 3/1 सक
कर
तप करता है
तुम्हह परराव
तुमको (तुम्हारे लिए) प्रणाम करता है
16.19
(ज) 1/1 सवि
78 ]
[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
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