________________
तरुणतर रिणतेयं
2. तं
णिसुणेपिण
भणइ
पुरोहिउ
जेणेयहू
गइप सरु
गिरोहिउ
3. अक्खमि
तं
सुहि
परमेसर
देवदेव
दुज्जय
भर हे सर
4. सुयज्य बल पडिबलविवाहं [[ ( मुय ) - ( जुय) वि - (बल) - (१ डिबल) - (fa-am) 6/2] fa]
5. तेओहा मियचंद दिणेसहं
नगरपदिम हिलच्छ
पयभर थिरमहियलकं पवनहं [ ( पय) - ( भर ) - (थिर) - ( महियल ) - ( कंपवण ) 6 / 2 वि
को
पडिमल्लु
एत्यु
तुह भायहं
7. सेव
[[ (तरुण) - ( तरणि) - (तेय) 1 / 1] वि ]
(त) 2/1 स
( णिसुण + एप्पिणु) संकृ
( भण) व 3 / 1 सक
( पुरोहिअ ) 1 / 1
अप त्रंश काव्य सौरभ
[ ( जेण) + ( इयहु ) ] जेण (ज) 3 / 1 स
इहु ( इम इअ इय) 6/1 स
[ ( गइ) - ( पसर) 1 / 1]
( पिरोहिअ ) भूकृ 1 / 1 अनि
Jain Education International
( अक्ख) व 1 / 1 सक
(त) 2 / 1 स
( णिसुण) विधि 2 / 1 सक
( परमेसर ) 8/1
[ (देव) - (देव) 8 / 1 ] ( दुज्जय) 8 / 1 वि ( भरहेसर ) 8 / 1
]
(क) 1 / 1 सवि
( पडिमल्ल) 1 / 1 वि
युवा सूर्य के तेजवाला
उसको
सुनकर
कहता है ( कहा ) पुरोहित
जिस कारण से,
इसकी
गति का प्रवाह
रोका गया
6. कित्तिसत्तिजणमेत्तिसहायहं [ ( कित्ति ) - ( सत्ति ) - ( जण ) - (मेति ) - ( सहाय) कीर्ति, शक्ति, जनता से
4/2]
मित्रता, सहायता के लिए
कौन
अव्यय
( तुम्ह ) 6 / 1 स (माय) 4/2
( सेवा ) 2 / 1
बताता हूँ
उसको
]
तेज, तिरस्कृत, चाँद, सूर्य का
[ ( तेअ) + (ओह मिय) + (चंद) + ( दिणेसह ) [ ( तेअ) - (ओहामिय) (दे) वि- (चंद) - (दिशेस ) 6/21 [ ( जणण ) - (दिण्ण) भूक अनि - (महि) - विलासहं ( लच्छि ) - ( विलास ) 4 / 2 ]
For Private & Personal Use Only
सुनो ( सुनें)
हे परमेश्वर
हे देवों के देव
दुर्जेय
हे भरतेश्वर
भुजात्रों के जोड़ा (दोनों), बल से, शत्रु को सेना का दमन करनेवाले
पैरों के भार से, स्थिर,
पृथ्वीतल को, कंपाने वाले
पिता के द्वारा दी गई, पृथ्वी
( रूपी) लक्ष्मी, मनोविनोद के लिए
जोड़वाला (प्रतिद्वन्द्वरे )
यहाँ
तुम्हारे
भाइयों का
सेवा
[ 67
www.jainelibrary.org