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76.7
1. दिठ्ठ
पुणो वि पाहु पिय-णारिहि सुन्तु मत्त-हत्थि
(दिट्ठ) भुकृ 1/1 अनि अव्यय (णाह) 1/1 [(पिय)--(णारी) 3/2] (सुत्त) भूकृ 1/1 अनि [(मत्त) वि - (हत्थि ) 1/1] अव्यय (गणियारि) 3/2
देखा गया फिर पति प्रिय पत्नियों द्वारा सोया हुआ मतवाला हाथी जैसे हथिनियों के द्वारा
गरिणयारिहिं
2. वाहिरिणहिं
नदियों द्वारा
जैसे
सुक्कड रयणायर कमलिणिहिं
(वाहिणी) 3/2 अव्यय (सुक्कअ) भूकृ 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक (रयणायर) I/I (कमलिणी) 3/2 अव्यय [(अत्थवण)1 - (दिवायर) 1/1]
सूखा हुआ समुद्र कमलिनियों के द्वारा जैसे डूबने से (समाप्त हुआ) सूर्य
अथवण-दिवायर
कुमुइरिणहि
कुमुदनियों द्वारा
व्य
जैसे
जरढ-मयलञ्छणु विज्जुहि व्व
(कुमुइणी) 3/2 अव्यय I (जरढ) वि-(मयलञ्छण) 1/1] (विज्जु) 3/2 अव्यय अव्यय [(वरिस→वरिसिय) भूकृ -- (घण) 1/1]
क्षीण चन्द्रमा बिजलियों द्वारा जैसे पुनः पुनः बरसा हुमा बादल
वरिसिय-घणु
4. अमर-वहूहि
चवरण-पुरन्दर गिम्भ-दिसाहि
[(अमर)-(वहू ) 3/2] अव्यय [[(चवण)-(पुरन्दर) 1/1] वि] [(गिम्भ)-(दिसा) 3/2] अव्यय [(अञ्जण)-(महिहर) 1/I]
देवताओं की स्त्रियों द्वारा जैसे मरण को प्राप्त इन्द्र ग्रीष्म में दिशात्रों द्वारा जैसे वृक्षों से युक्त पर्वत
अजण-महिहरु
5. भमरावलिहि
भंवरों की पंक्तियों द्वारा
[ (भमर) + (आवलिहि) ] [(भमर)-(आवलि) 3/2] अव्यय [(सूड→सूडिय) भूक-(तरुवर) 1/1]
म्व सूडिय-तरुवर
जैसे नाश को प्राप्त, श्रेष्ठ वृक्ष
1. अस्तमन→अत्थवण=डूबना
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
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