SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कोश की रचनाशैली कोशकार धनपाल महाकविने प्रारंभकी दूसरी गाथासे लेकर १८॥साढे अठारह गाथा तक सारी-पूरी-गाथा द्वारा अमुक अमुक अर्थक पर्याय शब्द बताए हैं. बादमें २०वीं गाथा से लेकर ९३||- साढे तेरानवींगाथा तक गाथा के आधे आधे चरण द्वारा अर्थात् पूर्वार्ध द्वारा और उत्तरार्ध द्वारा अमुक अमुक अर्थके पर्याय शब्द सूचित किए हैं. फिर ९५- पंचानवीं गाथासे लेकर २७५वीं गाथा तक प्रत्येक गाथाके एक एक पाद द्वाराएक एक चरणद्वारा अमुक अमुक अर्थके पर्याय शब्द बताए हैं. इस बातकी सूचना कोशकारने स्वयं कोशमें ही दी है. यह बात पृ० ३ में तथा पृ० ११ में *इस निशान का जो टिप्पण दिया गया है उसको देखने से अधिक स्पष्ट हो जायगी. ___अमुक अर्थके कितने नाम कोशकारने दिए हैं इस बातकी सूचना करने के लिए कोशके टिप्पणमें हमने सर्वत्र पर्यायोंकी संख्या के निर्देशके साथ एक शब्द को स्पष्टरूपसे बताया है. जैसे १ पृ०, २ ब्रह्मा १० अर्थात् ब्रह्मा के दस नाम पर्यायरूप बताए हैं. ३ पृ०, ११ मुक्ति ६-मुक्ति के ६ पर्याय बताए हैं. ११ पृ०, १६८ अमरावती २-अमरावती के दो पर्याय सूचित किए हैं. जहां समुची गाथा पर्याय वाचक शब्दों को दरसाती है वहां हमने गाथा पर शुरू शुरू में अंक लगाए हैं, जहां आधी गाथा पर्यायवाचक शब्दों का सूचन करती है वहां आधी गाथाके आदिमें अंक लगाए हैं तथा जहां गाथा का एक चरण मात्र पर्यायसूचक शब्दों को बताता है वहां सर्वत्र गाथाके प्रत्येक चरणके आदिमें अंक दे दिये गए हैं. ऐसे सब अंकोंकी संख्या ९९८ होती है. Jain Education International Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001708
Book TitlePaia Lacchinammala
Original Sutra AuthorDhanpal Mahakavi
AuthorBechardas Doshi
PublisherR C H Barad & Co Mumbai
Publication Year1960
Total Pages204
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy