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एक फारम कोशके छप चुके तब हम हमारे स्नेही और माननीय मुनिश्री जिनविजयजीके पास वे फारम लेकर उनके अनेकांत विहारमें (अमदावाद) पहुंचे. मुनिजीने फारम को देख कर प्रसन्नता प्रकट की और हिंदी के साथ अंग्रेजीमें भी अर्थ देनेकी खास प्रेरणा की. उनकी यह प्रेरणा हमको भी समुचित अँची अतः छपे हुए उन दो फारमों को हमने रद कर दिये और शुरूसे अंग्रेजी में अर्थ लगाकर कोश का प्रकाशन किया श्रीमुनिजी के उक्त सूचनके लिए हम इधर उनका सादर स्मरण करते हैं.
सहायक
कोशकी सारी प्रेसकॉपी तथा शब्दानुक्रमकी भी सारी प्रेसकॉपी हमारी छोटी पुत्रवधू चि. पुष्पा पंडितने बडे उत्साहसे कर दी है तथा हमारे विद्यार्थी भाई कानजी मंछाराम पटेल (बी. ए. अर्धमागधी ओनर्स )ने कोशके अंग्रेजी अर्थवाले भागकी सारी प्रेसकॉपी करने में तथा उसके संशोधनमें पूरी महेनत की है. एतदर्थ हम उक्त दोनों महानुभावोंका इधर सस्नेह स्मरण करनां खास समुचित समझते हैं. छापने के लिए शारदामुद्रणालय के मालीक और हमारे स्नेही भाई गोविंदभाई शाह तथा सुप्रसिद्ध लेखक भाई बालाभाई (जयभिक्खु ) देसाईने वसंतप्रेसमें प्रबंध कर दिया है. वे प्रबंध न कर देते तो हमसे कोश का प्रकाशन नहीं हो सकता यह निश्चित हकीकत है. अतः एतदर्थ उन दोनों महाशयों के भी हम सविशेष ऋणी हैं। वसंतप्रेसके फोरमेन भाई शांतिलालने भी हमारे इस काममें दिलचस्पी लेकर यथाशक्य कामको अच्छी तरहसे संपन्न करने में योग दिया है अतः इन भाई का भी नामस्मरण इधर अवश्य करना चाहिए. १२ ब, भारतीनिवास अमदावाद ६
संपादक सप्टेंबर १९५९.
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