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करते हुए उनकी वंदना करता हूँ जिनके कृपापात्र से खम्भात ज्ञानभण्डार की उपदेशमाला की ताड़पत्रीय हस्तप्रतों के पाठान्तर लेने के लिए ज्ञानभण्डार के ट्रस्टी श्री चम्पकमाई से अनुमति मिल गयी । एतदर्थ मैं उन सबका आभारी हूँ ।
डॉ. एस. डी. लड्डू साहब (निदेशक, भण्डारकर ऑरिएण्टल रिसर्च इन्स्टिट्यूट, पूना) ने मुझे पूना भण्डार की उपदेशमाला की कागज की हस्तप्रत की झेरोक्ष उपलब्ध करायी और श्री रमेश डी. मालवणिया (पुत्र पं. श्री दलसुख मालवणिया) ने पूना भण्डार की उपदेशमाला की ताड़पत्र की हस्तप्रत की माइक्रो फिल्म उपलब्ध करायी अत: वे दोनों धन्यवाद के पात्र हैं । पूज्य जोहरीमल जी पारख धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने मुझे जैसलमेर भण्डार की ताड़पत्र की झेरोक्ष भेजकर मेरा सम्पादनकार्य पूर्ण करवाया ।
मैं शारदाबहेन चीमनभाई रिसर्च एज्युकेशनल ट्रस्ट एवं उसके निदेशक डॉ. जितेन्द्रभाई शाह के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने इस शोधप्रबन्ध को प्रकाशित कर मुझे अनुगृहीत किया ।
अन्त में एक बार पुन: उन समस्त महानुभावों के उपकार को स्मरण कर कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ जिनसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभान्वित हुआ हूँ ।
संगणक की मर्यादा या मेरी ही अनभिज्ञता से शोधप्रबन्ध में किसी प्रकार की त्रुटि रह गई हो तो मनीषीपाठक उस पर अपने सुझाव सहित मेरा ध्यान आकृष्ट करें ताकि आगामी संस्करण में उन्हें दूर किया जा सके - इसी अभ्यर्थना के साथ
दिनांक : १, अगस्त २०००
विद्धच्चरणचञ्चरीक दीनानाथ शर्मा प्राकृत पालि विभाग भाषा साहित्य भवन, गुजरात युनिवर्सिटी अहमदाबाद-९.
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